पैसों को बढ़ाने के लिए और पैसे सेव करने के लिए बैंक अकाउंट आवश्यक होता है, और निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट की आवश्यकता होती है। आजकल हर बैंक में बहुत सारे बैंक खातों के प्रकार होते हैं, जिनसे विभिन्न ग्राहकों को फायदा मिलता है। आइए,
हर खाते के अपने विशेष फीचर्स और आवश्यकताएँ होती हैं। इस लेख में हम बैंक खातों और लेखा में कितने प्रकार के खाते होते हैं, इसके बारे में जानेंगे।
बैंक अकाउंट किसे कहते हैं?
बैंक खाते कितने प्रकार के होते हैं ये जानने से पहले ये जाने के बैंक खाता किसे कहते हैं, बैंक अकाउंट यानि ऐसी व्यवस्था जो बैंक, कस्टमर्स को देता है जिसमे कस्टमर्स पैसे दाल सकते है और निकाल सकते है, इन्वेस्टमेंट करने के लिए बैंक अकाउंट की ज़रूरत होती है। बैंक एकाउंट्स को पैसे जमा करने और बैंकिंग कि सारि सर्विसेज और फैसिलिटीस को इस्तेमाल करने के लिए बनाया जाता है।
बैंक अकाउंट कितने प्रकार के होते?
◉ सेविंग अकाउंट
◉ करंट अकाउंट
◉ रेकरिंग डिपाजिट
◉ फिक्स्ड डिपाजिट
◉ सैलरी अकाउंट
◉ NRI अकाउंट
◉ डीमैट अकाउंट
◉ बेसिक सेविंग बैंक डिपाजिट अकाउंट (BABDA )
◉ 3 इन वन अकाउंट (3-in-one account)
◉ नो फ्रिल अकाउंट / जीरो बैलेंस अकाउंट
◉ जन धन सेविंग अकाउंट
सबसे पहले बैंक खातों के कितने प्रकार होते हैं, ये जानेंगे। फिर एकाउंटिंग में खातों के कितने प्रकार होते हैं, ये जानेंगे। भारत में पहले सिर्फ चार प्रमुख बैंक खाते थे: सेविंग्स अकाउंट, करंट अकाउंट, रेकरिंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट। लेकिन बाद में बैंकिंग सेक्टर के डेवलपमेंट होने पर दूसरे तरह के बैंक खाते भी लाए गए।
1. सेविंग बैंक अकाउंट
खातों के प्रकार में सबसे कॉमन बैंक अकाउंट है सेविंग बैंक अकाउंट. “सेविंग्स अकाउंट” को एक व्यक्ति या दो लोग मिलकर जॉइंट अकाउंट खोल सकते हैं।
लोग बचत खातों में पैसे जमा करने के अलावा उनके जमा किए गए पैसों पर बैंक ब्याज के लिए भी खाता खोलते हैं। बचत खातों में ग्राहक जितनी बार चाहें उतनी बार पैसे जमा कर सकते हैं, लेकिन निकासी कितनी बार कर सकते हैं, इस पर प्रतिबंध होता है।
बचत खातों में ग्राहकों को मिलने वाला ब्याज हर साल 4 से 6 प्रतिशत होता है। इस खाते में ग्राहकों को चाहें तो उन्हें एटीएम कार्ड भी मिलता है। इसमें आपको मिनिमम बैलेंस रखने की आवश्यकता होती है।
बचत खाता छात्रों को उपयोग में आ सकता है, जिन्हें पेंशन मिलती है, वे उपयोग करते हैं। काम करने वाले पेशेवर भी उपयोग करते हैं और पैसे जमा करने के लिए महिलाएं भी इस खाता को खोलती हैं।
2. करंट बैंक अकाउंट
“करंट अकाउंट” को पैसों को सेव करने के लिए खोला नहीं जाता है, “करंट अकाउंट” जिसे चालू खाता भी कहा जाता है। “करंट अकाउंट” को कंपनियों, संघटनों, धार्मिक संस्थानों और अन्य व्यापारिक कार्यों से जुड़े कामों के लिए खोला जाता है।
“करंट अकाउंट” में पैसे जमा और निकासी जितनी बार चाहें उतनी बार कर सकते हैं, इसमें कोई पाबंदी नहीं होती। “करंट अकाउंट” में बैंक द्वारा ब्याज नहीं दिया जाता है, इस अकाउंट से इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध है और वो सर्विसेज भी प्राप्त की जा सकती हैं जो सामान्य बैंक अकाउंट में मिलती हैं।
3. रेकरिंग डिपाजिट (Recurring Deposit)
रेकॉर्डिंग डिपॉजिट को वो लोग खोलते हैं जो हर महीना पैसे डिपॉजिट करना चाहते हैं, किसी निश्चित समय तक। निश्चित समय तक कस्टमर को हर महीने पैसे डालने होते हैं, फिर समय होने पर पूरे पैसे इंटरेस्ट के साथ निकाल सकते हैं।
पैसे निकालने पर अकाउंट को बंद किया जाता है, यह समय 6 महीने से 10 साल का हो सकता है। इंटरेस्ट रेट कितना होगा यह अकाउंट किस बैंक में खोल रहे हैं उसपर निर्भर करता है, जो पैसा कस्टमर हर महीने भरते हैं वो कम से कम 50 रुपये भी हो सकता है। यह आपके बैंक पर भी निर्भर करता है, अगर कस्टमर को निश्चित समय से पहले पैसे निकालने हो तो बैंक आप पर पेनल्टी लगाएगा, यानी कुछ पैसे लेगा।
4. फिक्स्ड बैंक डिपाजिट
एफडी या फिक्स्ड डिपॉजिट के बारे में सुना होगा, इस अकाउंट को किसी भी प्राइवेट या सरकारी बैंक में खोल सकते हैं। इस अकाउंट में एक ही बार पैसा डाला जाता है और एक ही बार निकाला जाता है, यानि जब अकाउंट बनेगा तो अकाउंट होल्डर एक अमाउंट डालेगा।
यह अमाउंट कितना भी हो सकता है, एक निश्चित समय तक यह पैसा इसी अकाउंट में रहेगा और समय पूरा होने के बाद पैसे निकाल सकते हैं। जो पैसे इस ऍफ़डी में डाले जाते हैं, उन्हें सिर्फ एक ही बार डाला जाता है, रेकरिंग डिपॉजिट की तरह हर महीने डाला नहीं जाता। ऍफ़डी अकाउंट में इंटरेस्ट मिलता है।
इंटरेस्ट रेट कितना होगा, यह निर्भर करता है कि अमाउंट कितना है और कितने समय के लिए बैंक में रखने वाले हैं। समय की बात करें तो यह 7 दिन से 10 साल तक हो सकता है, अगर किसी को निश्चित समय से पहले पैसे निकालना हो तो आपको पेनल्टी देनी पड़ेगी, यह पेनल्टी आपके बैंक पर निर्भर है, यह अक्सर इंटरेस्ट के 0.50% से 1% तक होती है।
5. सैलरी बैंक अकाउंट
सैलरी अकाउंट को बड़े बिज़नस या कारपोरेशन के दुअरा खोला जाता है ताके वह अपने कर्मचारियों को हर महीने सैलरी सीधे उनके बैंक अकाउंट मे भेज सके, हर कर्मचारी को ये अकाउंट मेन्टेन करना होता है और इन अकाउंट मे मिनिमम बैलेंस रखने कि ज़रूरत नहीं होती है।
कुछ बैंक सैलरी अकाउंट मे ओवरड्राफ्ट कि सुविधा भि देते है यानि ज़रूरत पढने पर बैंक से उधार पैसे ले सकते है, सैलरी अकाउंट होल्डर्स को बैंक अपनी हर सर्विस देता है जैसे डेबिट कार्ड, चेक बुक, इन्टरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, आदि।
सैलरी अकाउंट से कभी भि कितना भि पैसा निकाल सकते है। एम्प्लाइज इस अकाउंट को बाद मे सेविंग अकाउंट मे बदल सकते है, अगर तीन महीने से अकाउंट मे कुछ भि एक्टिविटी नहीं देखि गयी तो भी ये कहता सेविंग खता में बदल्दिया जाता है।
6. NRI बैंक अकाउंट
इंडियन ओरिजिन या नॉन-रेसिडेंट इंडियन्स को बैंकिंग फ़ासिलितीज़ प्रदान करने के लिए एनआरआई बैंक खाता बनाया जाता है, एनआरआई खातों के तीन प्रकार होते हैं:
1. ‘एनआरओ अकाउंट’ (Non-Resident Ordinary Rupees)
इस अकाउंट को एक व्यक्ति या दो लोग मिलकर बना सकते हैं। इस अकाउंट से दूसरे देशों के पैसे भारत में ट्रांसफर किए जाते हैं। इस अकाउंट को एफडी, सेविंग्स, करेंट या आरडी अकाउंट के रूप में खोला जा सकता है।
2. ‘एनआरइ अकाउंट’ (Non-Resident External Rupees Account)
जब कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में कमाई के लिए जाता है, तो उसे अपने अकाउंट को NRE अकाउंट में कन्वर्ट करना पड़ता है, और इसे इंडियन एड्रेस पर खोला जा सकता है।
3. ‘एफसीएनआर अकाउंट’ (Foreign Currency Non-Resident)
दुसरे देशों के पैसों को मैनेज करने के लिए एफसीएनआर अकाउंट को खोला जाता है, यह अकाउंट फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में खोला जाता है, यानि इन पैसों को निश्चित समय के बाद ही निकाला जा सकता है। एफसीएनआर अकाउंट के पैसों से खाताधारक लोन ले सकते हैं।
7. डीमैट अकाउंट
शेयर्स और बॉंड्स जैसे सिक्योरिटीज के ट्रांजैक्शंस करने के लिए और सिक्योरिटीज को डिजिटल फॉर्म में स्टोर करने के लिए इस अकाउंट को बनाया जाता है। डीमैट अकाउंट को ‘डीमटेरिलीज्ड अकाउंट’ भी कहते हैं, भारत में दो डिपाजिटरी आर्गेनाइजेशन हैं जो इस तरह के अकाउंट को संभालते हैं, वो हैं ‘सेंट्रल डिपाजिटरी सर्विसेज लिमिटेड’ और ‘नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड’ ये बैंक अकाउंट नहीं है लेकिन बैंक अकाउंट की तरह काम करता है।
इस अकाउंट की मदद से शेयर्स, बॉंड्स, म्यूच्यूअल फंड, आदि को मैनेज किया जाता है बिना टेंशन के शेयर्स के ट्रांजैक्शंसऑनलाइन कर सकते हैं। ट्रेडर्स कहीं से भी ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रांजैक्शंस की कॉस्ट भी कम हुई है,
इस अकाउंट को आप घर बैठे ऑनलाइन खोल सकते हैं। बैंक या दूसरे ऑफिस में जाने की ज़रूरत नहीं है। डीमैट अकाउंट के फायदे और नुकसान भी होते हैं।
8. बेसिक सेविंग बैंक डिपाजिट अकाउंट
पहले लोग इस अकाउंट को बहुत खोलते थे क्योंकि यह ‘बेसिक सेविंग्स बैंक डिपाजिट अकाउंट’ है, इस तरह के अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन इसमें कुछ पाबंदियाँ ज़रूर होती हैं, जैसे कि अकाउंट में 50,000 से ज्यादा रुपये नहीं रख सकते हैं।
अगर हम पैसों की लेन-देन करते हैं तो पूरे महीने की ट्रांजैक्शन मिलाने पर दस हजार से ज्यादा की ट्रांजैक्शन नहीं होनी चाहिए, अगर इन प्रतिबंधों का पालन नहीं किया जाता है तो अकाउंट सीज हो जाएगा और रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में कन्वर्ट हो जाएगा।
9. 3 इन वन अकाउंट (3-In-One Account)
यह अकाउंट इन्वेस्टर्स के लिए बहुत बढ़िया है जो शेयर मार्केट में इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं, इसका नाम इसलिए ऐसा है क्योंकि इसमें तीन अकाउंट के फायदे मिलते हैं, जैसे कि ट्रेडिंग, डीमैट, और बैंक अकाउंट। कुछ बैंक और ब्रोकर्स इस तरह के अकाउंट्स कस्टमर्स के लिए खोलते हैं क्योंकि भारत में लोग शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट में दिलचस्पी ले रहे हैं। आप ICICI बैंक में अकाउंट खोल सकते हैं।
10. जीरो बैलेंस अकाउंट (Zero Balance Account)
इस बैंक अकाउंट को ख़ास आरबीआई की नई दिशा-निर्देशिका की वजह से बनाया गया है ताकि कस्टमर जीरो बैलेंस से भी अकाउंट को चला सके, यानि इसमें कोई न्यूनतम बैलेंस रखना ज़रूरी नहीं होती या बहुत कम न्यूनतम बैलेंस रखना होता है, जो लोग न्यूनतम बैलेंस नहीं रखना चाहते वह इस बैंक अकाउंट को खोल सकते हैं और इस बैंक अकाउंट को आप किसी भी बैंक में खोल सकते हैं।
11. जन धन सेविंग अकाउंट
इस अकाउंट को प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत बनाया गया है ताके गरीब लोग भी अपनी सेविंग्स को इस अकाउंट में रख सकें, इस अकाउंट को जीरो बैलेंस अकाउंट भी कहते है, एक महीने में सिर्फ चार बार पैसे निकाले जा सकते हैं, अकाउंट बनाने वाले को 30 हजार का इंश्योरेंस कवर और एक्सीडेंटल इंश्योरेंस भी दिया जाता है।
सिर्फ इतने प्रकार नहीं होते हमने आपको सबसे ज़रूरी और जियादा इस्तेमाल किये जाने वाले बैंक खातों के प्रकार के बारेमे बताया है।
बैंक अकाउंट क्यूँ ज़रूरी है?
- कस्टमर अपनी कमाई के पैसे बैंक अकाउंट मे रखते है कियोंकि उन्हें सुरक्षित महसूस होता है अगर बैंक बंद होजाते है तो भि कस्टमर्स को उनके पैसे वापस मिलजाते है।
- बैंक खाते के ज़रिये आसानी से transactions करसकते है।
- एक खाते से दुसरे खाते मे फ़ास्ट मनी ट्रान्सफर करसकते है।
- बैंक खाते सस्ते है कियोंकि कस्टमर्स को बैंक कि तरफ से कम फीस मे अलग अलग सर्विसेज मिलते है।
- बैंक खाता होने पर बैंक्स डेबिट कार्ड, चेक बुक, पास बुक, इन्टरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, आदि कि सुविधा देती है।
- बैंक खाते से कभी भि ज़रूरत के वक़्त पैसे निकाल सकते है।
- बैंक खाते के ज़रिये क्रेडिट फैसिलिटी मिलती है।
- बैंक खाते transparent होते है यानि पासबुक या अकाउंट स्टेटमेंट के ज़रिये खाते मे हर चीज़ को ट्रैक किया जा सकता है।
- बैंक खाता एक व्यक्ति कि पहचान होता है जिसे गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशन इस्तेमाल करती है।
प्राइवेट या सरकारी कौन सा बैंक अकाउंट खोलें?
किस बैंक मे अकाउंट खोलना चाहिए ये आपके ज़रूरत पर डिपेंड है आप कौनसी सुविधा चाहते है वो किस बैंक मे है उसे चुन्लें। सरकारी बैंक उन लोगों के लिए है मिडिल क्लास है या कमज़ोर है जो बैंकिंग कि हर सर्विस के लिए चार्जेज नहीं दे सकते है बस उन्हें नार्मल बैंकिंग करना होता है, सरकारी बैंक्स जैसे SBI, पीएनबी, बैंक ऑफ़ इंडिया, कानारा बैंक, आदि मे बहुत भीड़ होती है जिसकी वजह से कर्मचारियों पर काम का प्रेशर होता है आप का काम भि थोडा late हो सकता है।
वहीँ प्राइवेट बैंक्स जैसे, एचडीऍफ़सी, आईसीआईसीआई, एक्सिस, आदि मे आपको मिनिमम बैलेंस जियादा रखना होता है और बाकि के बैंकिंग सर्विस के चार्जेज सरकारी बैंकों से अधिक होते है।
अगर आप कि फाइनेंसियल स्तिथि ठीक है तो आप प्राइवेट बैंक को चुने यहाँ भीड़ कम होगी जिससे आपका काम जल्दी होगा। या आप अपने नजदीकी प्राइवेट और गवर्नमेंट बैंक्स जाकर कस्टमर सर्विस देखकर फैसला कर सकते है।
एकाउंटिंग सब्जेक्ट मे एकाउंट्स किसे कहते हैं?
अकाउंट एक आउटलाइन है ट्रांजैक्शंस कि जो बिज़नेसेस या एक व्यक्ति के दुअरा किये जाते है, यानि जब कोई बिज़नेस, सप्लायर या कस्टमर के साथ किसी ट्रांजैक्शंस मे इन्वोल्व होता है तो यहा दोनों सप्लायर और कस्टमर अलग अलग अकाउंट का काम करते है।
जैसे अगर कोई बिज़नेस ज़मीन, मशीन, बिल्डिंग, मटेरियल खरीदते है तो ये सारि रियल चीज़े अलग अकाउंट कि तरह काम करते है, मशीन के लिए अलग अकाउंट, मटेरियल के लिए अलग अकाउंट।
एकाउंटिंग मे कितने प्रकार के अकाउंट होते हैं?
एकाउंटिंग मे तीन प्रकार के खाते होते है:
- पर्सनल अकाउंट (Personal Account)
- रियल अकाउंट (Real Account)
- नोमिनल अकाउंट (Nominal Account).
ज़रूरी सवालें
डीमेट अकाउंट का फुल फॉर्म क्या है?
डीमेट अकाउंट का फुल फॉर्म है डीमटेरिलीज्ड अकाउंट (Dematerialized account).
डेली ट्रांजैक्शंस के लिए कौन सा बैंक अकाउंट बेस्ट है?
करंट अकाउंट सबसे बेस्ट है हर दिन ट्रांजैक्शंस करते है तो, कियोंकि इसमें पैसे डिपाजिट और क्रेडिट करने मे कोई लिमिट नहीं है और ये अकाउंट ,पैसे सेविंग करने के लिए नहीं बिज़नेसेस के लिए इस्तमाल होते है।
एनआरआई अकाउंट के कितने प्रकार है?
एनआरआई अकाउंट के तीन प्रकार है: ‘एनआरओ अकाउंट’, एनआरइ अकाउंट’ और ‘एफसीएनआर अकाउंट’.
खाते कितने प्रकार के होते हैं?
खाते बहुत तरह के होते है जैसे सेविंग खाता, करंट खाता, रेकरिंग खाता, फिक्स्ड खाता, सैलरी खाता, एनआरआई खाता, इतियादी।
बैंक अकाउंट के लिए कोई फीस देनी पड़ती है क्या?
हर बैंक के अलग रूल होते है कुछ बैंक थोड़ी फीस लेते है और कुछ बैंक फीस नहीं लेते लेकिन कुछ कंडीशन होती है।
अकाउंट बनाने के लिए बेसिक दस्तावेज़?
1. कोई भि आइडेंटिटी प्रूफ जैसे आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, वोटर आईडी, पण कार्ड.
2. एड्रेस प्रूफ जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस.
3. करंट अकाउंट के लिए पैन और दुसरे डॉक्यूमेंट जो बैंक ने मांगवाए है वो लगेंगे।मेरे अकाउंट मे कम से कम कितना पैसा होना चाहिए?
बैंक अकाउंट बनाने पर सबसे पहले ओपनिंग बैलेंस डालना होता है जिसे मिनिमम बैलेंस कहते है, बैंक जारो बैलेंस भि अल्लो करते है, पैसे नहीं रखना है तो जीरो बैलेंस अकाउंट भि खोल सकते है।
एक व्यक्ति कितने अकाउंट खोल सकता है?
एक व्यक्ति कितने भि अकाउंट खोल सकता है इनकम टैक्स के दुअरा ऐसा कोई भि नियम नहीं है के एक या दो से जियादा अकाउंट नहीं खोल सकते है, अपनी ज़रूरत के हिसाब से आप कितने भि अकाउंट खोल सकते है अलग अलग बैंक मे या एक बैंक मे। बस ये याद रखे के आप एक मोबाइल नंबर से अलग अलग बैंक्स मे अकाउंट खोल सकते है लेकिन एक बैंक मे एक मोबाइल नंबर से सिर्फ एक अकाउंट हि खोल सकते है।
सेविंग अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?
सेविंग अकाउंट के दो प्रकार है:
बेसिक सेविंग बैंक डिपाजिट अकाउंट।
बेसिक सेविंग बैंक डिपाजिट स्माल स्कीम।एक आदमी बैंक में कितना पैसा रख सकता है?
आप अपने बैंक अकाउंट मे कितने भि पैसे जमा कर सकते है लेकिन लिमिट सिर्फ पैसे डिपाजिट करने और विथ्द्रव मे है। एक लाख से जियादा काश डिपाजिट एक समय मे नहीं कर सकते है।
घर में कितना काश रखा जा सकता है?
इनकम टैक्स एक्ट का इसा कोई नियम नहीं के आपको कितना पैसा घर मे रखना चहिये या नहीं रखना चाहिए हाँ लेकिन जब आपके घर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऑफिसर रेड करते है तो आपके आपके पास पैसे कहा से अये इसका सोर्स बताना होता है।
जीरो बैलेंस अकाउंट में कितना पैसा रख सकते हैं?
जीरो बैलेंस अकाउंट मे जियादा से जियादा आप सिर्फ 1 लाख रुपे जमा कर सकते है इससे जियादा करने पर आपका जीरो बैलेंस अकाउंट एक नार्मल सेविंग्स अकाउंट मे बदल जायेगा।
क्या एक हि बैंक में एक से जियादा बैंक खाते खोले जा सकते हैं?
उधारण से समजते है अगर आप एक बैंक मे सेविंग्स अकाउंट खोलते है तो आप दूसरा सेविंग्स अकाउंट नहीं खोल सकते लेकिन उसी बैंक मे दुसरे प्रकार के अकाउंट जैसे करंट अकाउंट, एफडी अकाउंट, आदि खोल सकते है। एक मोबाइल नंबर से अलग अलग बैंक मे सेविंग्स अकाउंट खोल सकते है लेकिन एक मोबाइल नंबर से एक हि बैंक मे दो सेविंग्स अकाउंट नहीं खोल सकते।
5 प्रकार के खाते कौन से हैं?
सेविंग अकाउंट
फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट
रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट
एनआरआई अकाउंट।बैंक के 4 प्रकार क्या हैं?
कमर्शियल बैंक
गवर्नमेंट बैंक
पेमेंट बैंक
स्माल फाइनेंस बैंकसेविंग अकाउंट का क्या मतलब है?
सेविंग्स अकाउंट एक तरह का बैंक अकाउंट है, जिसे लोग अपनी सेविंग्स को जमा करने के लिए इस्तेमाल करते है नार्मल बैंकिंग सर्विसेज को पाने के लिए सेविंग्स अकाउंट खोला जाता है।
सेविंग अकाउंट के क्या फायदें है?
● कभी भि आसानी से ओपन कर सकते है।
● पैसों को जमा करने और ट्रांजैक्शंस करने के लिए।
● घर में रखने की बजाय आप सेविंग्स अकाउंट में पैसे रख सकते है।
● ऑनलाइन किसी को भी और कभी भि पैसे ट्रान्सफर कर सकते है।
● शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करने के लिए डीमेट अकाउंट से सेविंग बैंक अकाउंट लिंक कर सकते है।
● सेविंग्स अकाउंट के साथ पासबुक, चेक बुक और एटीएम कार्ड्स भी मिलते है।
● ऑटो देबिट और ऑटो क्रेडिट सेट कर सकते है।मुझे अपना पैसा बैंक में रखना चाहिए या घर पर?
इमरजेंसी स्तिथि के लिए आपको कुछ पैसे अपने घर में रखने चाहिए, लेकिन आजकल ज़यादातर वर्क ऑनलाइन होता है, कोई भी चीज़ ऑनलाइन शौपिंग, मनी ट्रान्सफर रेचार्गेस, बिल पेमेंट्स, आदि दूसरी बैंकिंग सर्विसेज को इस्तेमाल करने के लिए आपके बैंक अकाउंट में पैसे होने चाहिए।
करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट में क्या अंतर है?
★ सेविंग अकाउंट पैसो को जमा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, सेविंग अकाउंट में पैसे डालने और निकालने की लिमिट होती है और साथ आपको मिनिमम बैलेंस बैंक अकाउंट में रखना होता है सेविंग्स अकाउंट अच्छे से चलने के लिए।
★ करंट अकाउंट बिज़नस के लिए बनाया गया है, बिज़नस में बहुत सारे ट्रांजैक्शंस करने होते इसलिए करंट अकाउंट में पैसे डालने और निकालने की कोई भी लिमिट नहीं है, सेविंग अकाउंट की तरहा इसमें कोई ही इंटरेस्ट बैंक की तरफ से नहीं दिया जाता। इसमें कोई भी मिनिमम बैलेंस रखें की ज़रूरत नहीं होती है।
अकाउंट कितने प्रकार के होते?
एकाउंटिंग मे अकाउंट के तीन प्रकार होते है एक व्यक्तिगत अकाउंट (Personal Account), वास्तविक अकाउंट (Real Account) और अवस्तुगत अकाउंट (Nominal Account).
पर्सनल अकाउंट क्या होता है?
पर्सनल अकाउंट यानि ऐसे अकाउंट जो किसी व्यक्ति, संस्था, इंस्टिट्यूट से सम्बंधित होते है.
करंट अकाउंट क्या है?
करंट अकाउंट एक बैंक अकाउंट है आमतौर पर बिज़नेसेस खोलते है, इस अकाउंट को बिज़नेस वाले लोग इसलिए खोलते है कियोंकि इसमें ट्रांजैक्शंस करने की कोई लिमिट नहीं होती और पैसे रखने की भी कोई लिमिट नहीं होती है. हम दिन में जितनी बार चाहे उतनी बार ट्रांजैक्शंस कर सकते है.
सेविंग अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?
बैंक में इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ सेविंग अकाउंट के प्रकार है:
● रेगुलर सेविंग अकाउंट
● जारो बैलेंस या बेसिक सेविंग अकाउंट
● वोमेन सेविंग अकाउंट
● सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट
● किड सेविंग अकाउंट
● सैलरी अकाउंट
● फॅमिली सेविंग अकाउंट.