आज हम जानेंगे प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं, और इनसे जुडी सारि ज़रूरी चीजों को जानेंगे, अगर कोई क्सृदना छटा है अपने घरके लिए या ऑफिस के लिए तो इस आर्टिकल को पढने के बाद वह सहीं फैसला ले लेपायेगा,
किस प्रिंटर मे हाई क्वालिटी होती है किस्मे लो क्वालिटी, कौनसा सता होता है और कौनसा महँगा, कौनसा प्रिंटर किस काम अत है, आदि, चलिए देखते है printer kitne prakar ke hote hain:
Printer Kitne Prakar Ke Hote Hain?
- Inkjet Printers
- Laser Printers
- All-In-One Printers
- Dot-Matrix Printers
- 3D Printers
- LED Printers
- Thermal Printers
- Sublimation Printers
- Plotter
1. Inkjet Printer kya hai
इंकजेट प्रिंटर्स सबसे जियादा घरों और बिज़नेस के दूसरा इस्तेमाल किये जाते है इसमें मैग्नेटिक प्लेट के ज़रिये Ink को पपेर पर छिड़का जाता है और इसमें, स्टबलाइज़ेर बार, ink Cartridge, प्रिंट हेड, आदि जैसे चीज़े होते है,
इंक कार्ट्रिज मे जमा होती है और लाग अलग कलर के डॉक्यूमेंट के लिए एक अलग कार्ट्रिज इस्तेमाल होता है, इन प्रिंटर्स मे विविद कोलौर्स कि मदद से हाई कुआलिटी के पिक्चर बनाने कि क्षमता होती है, दुसरे प्रिंटर्स के मुकाबले ये सस्ते और इस्तेमाल करने मे आसान होते है, प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं उनमे से ये पहला प्रकार था. अमेज़न पर इसे देखसकते है.
फायदें | नुकसान |
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इंकजेट प्रिंटर्स हाई क्वालिटी के पिक्चर देसकते है, | हाईलाइटर मार्कर को ये प्रिंटर्स अलाव नहीं करते |
इस्तेमाल करने मे आसान और फास्ट होते है, | प्रिंट करने के लिए जियादा वक़्त ले सकते है, |
ये प्रिंटर्स warm up के लिए टाइम नहीं लेते है, | कभि कभि कार्ट्रिज खाली होने का गलत वार्निंग बताता है, |
2. Laser Printer kya hai
1971 मे लेज़र प्रिंटर को बनाया गया था इसके बाद गरी स्ट्रकवेदर ने इसे डेवेलोप किया, टेक्स्ट और इमेजेज को प्रिंट करने के लिए इस प्रिंटर मे नॉन-इम्पैक्ट फोटोकापियर टेक्नोलॉजी का इसेमल होता है,
जब भि इसको कोई डॉक्यूमेंट मिलता है प्रिंट करने के लिए तो ये प्रिंटर डॉक्यूमेंट को लेज़र बीम के ज़रिये सेलेनियम-कोटेड ड्रम पर उतारता है इलेक्ट्रिक चार्जेज कि मदद से, ज़यादातर लेज़र प्रिंटर मोनोक्रोम मे प्रिंटिंग करसकते है और मोनोक्रोम लेज़र प्रिंटर दस गुना सस्ता होता है कलर लेज़र प्रिंटर्स से. लेज़र प्रिंटर को अमेज़न पर देखसकते है.
फायदें | नुकसान |
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लेज़र प्रिंटर मे डॉक्यूमेंट जल्दी प्रिंट होते है | इसको जियादा वोल्टेज कि ज़रूरत होती है, |
इस प्रिंटर मे पपेर कि कैपेसिटी भि जियादा होती है | लेज़र प्रिंटर्स को वार्म अप कि ज़रूरत होती है |
इंकजेट प्रिंटर के मुकाबले मे ये कम महँगा होता है, |

3. All In One Printers
इस डिवाइस को मुल्टीफंक्शन प्रिंटर भि कहते है कियोंकि ये प्रिंटर बहुत सारे काम करसकता है जैसे स्कैनिंग,प्रिंटिंग, कोप्यिंग और फक्सिंग.
इन प्रिंटर्स को कम बजट वाले बिज़नेस इस्तेमाल करते है ताके काम जियादा हो और पैसे कम खर्चा हो, इस प्रिंटर को कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करना बहुत ज़रूरी है वायर के साथ या वायरलेस तरीके से. यहाँ पर बेस्ट आल इन ओन प्रिंटर खरीद सकते है.
फायदें | नुकसान |
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इसको खरीदने से पहले पैसा कम लगता है कियोंकि इसको खरीदने के बाद सारे डिवाइसेस को खरीदने कि ज़रूरत नहीं होती, | ये प्रिनेर्स first in first out rule रूल पर निर्भर होते है, सारे काम लाइन मे अटक सकते अहि मशीन स्लो होसकती है और आपको वेट करना पदसकता है, |
तीन चार डिवाइसेस जितना इलेक्ट्रिसिटी कंसौम करते उससे कहीं जियादा कम ये एक मुल्टीफंक्शन प्रिंटर खर्च करता है यानि इससे आपका पॉवर भि कम खर्च होगा, | जब मुल्टीफंक्शन प्रिंटर बंद होजाता है या टूट जाता है तो इसके सारे काम रुक जाते है जैसे कोपिंग, फक्सिंग, प्रिंटिंग. |
ऑफिस और घरों मे इसका इस्तेमाल करने से आपकी बहुत सारि जगह बचती है कियोंकि तीन चार डिवाइसेस जियादा जगह लेते है और इसमें सारे काम होते है, | मुल्टीफंक्शन प्रिंटर्स का मेंटेनेंस खर्चा जियादा होता है कियोंकि ये इंक फास्ट इस्तेमाल करता है दुसरे के मुकाबले, |
मुल्टीफंक्शन प्रिंटर लेसर और दुसरे प्प्रिंटर्स से जियादा फास्ट होता है और कुछ मुल्टीफंक्शन प्रिंटर्स प्रिंट डॉक्यूमेंट को सेंड भि करसकते है और कॉपी भि करसकते है, |
4. Dot-Matrix Printers
इसको पिन प्रिंटर्स भि कहा जाता है जिसे 1957 मे रेलीस किया गया था आईबीएम के दुअरा फिर 1970 मे सेन्ट्रोनिक्स के दुअरा सबसे पहले डॉट-मैट्रिक्स इम्पैक्ट प्रिंटर को बनाया गया, इंकजेट और लेज़र प्रिंटर्स के मुकाबले इसे कम इस्तेमाल किया जाता है
कियोंकि इसकी प्रिंटिंग स्पीड कम होती है और इमेज कि क्वालिटी भि लो होती है, लेकिन फिर भि कुछ फील्ड मे इनका इस्तेमाल होता है जैसे पैकेज डिलीवरी कम्पनीज और ऑटोपार्ट स्टोर्स मे. इसे अमेज़न पर देखसकते है.
फायदें | नुकसान |
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इसका प्रिंटिंग और मेंटेनेंस का खर्चा कम होता है. | इसमें जब पिन रिबन को हिट करती तो बहुत आवाज़ अति है. |
दुसरे के मुकाबले ये सस्ता और आसानी से मिलजाता है. | जिसका हमने कहा इसकी क्वालिटी लो है और प्रिंटिंग स्पीड स्लो है. |
इसमें किसी भि प्रिंट का कार्बन कॉपी भि निकाल सकते है. |
5. 3D Printers
प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी मे सबसे अच्चा अविष्कार 3डी प्रिंटर्स का माना जाता है जिसे Chunk Hull ने 1984 मे बनाया था, इसमें क्वालिटी रेसिं कि मदद से किसी भि चीज़ का 3डी ऑब्जेक्ट बना सकते है,
इसमें इन चीजों का इस्तेमाल होता है जैसे पालीमेर्स, प्लास्टिक मेटल एलाय और खाने कि चीज़े भि, 3डी प्रिंटर्स को आर्चीलोजी, बायोटेक्नोलॉजी, एयरोस्पेस और डेंटिस्ट्री आदि. इसे अमेज़न से खरीद सकते है.
फायदें | नुकसान |
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इसकी प्रिंटिंग क्वालिटी अच्छी होती है | इसका इनिशियल कॉस्ट बहुत होता है, |
इसमें यूज़र खुद 3डी प्रिंटर्स बना सकते है, | इसमें जियादा मटेरियलसनहीं होते, |
इसमें ऑब्जेक्ट को बनाने के लिए बहुत सारे शेप्स और जिओमेट्री मिलते है, | 3डी प्रिंटर्स कि टेक्नोलॉजी अभ देवेलोपिंग टेक्नोलॉजी है |
इसमें जियादा एनर्जी खर्च होती है. |

6. LED Printers
एलइडी प्रिंटर लेज़र प्रिंटर कि तरहा हि होते है, इस प्रिंटर मे इंक, ड्रम, और फुसर सिस्टम का इस्तेमाल होता है, ये प्रिंटर्स नॉन-इम्पैक्ट टाइप मे आते है, इसमें प्रिंटिंग के लिए लेज़र कि बजाये लाइट निकलती हुई डायोड का इस्तेमाल होता है, इस प्रिंटर को 1989 मे OKI के दुअरा बनाया गया था.
फायदें |
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LED प्रिंटर को बनाने मे कम कर्चा होता है लेज़र प्रिंटर के मुकाबले, |
इन प्रिंटर्स से मोटे 3डी चीजों पर भि प्रिंटिंग करसकते है, |
7. Thermal Printers
थर्मल प्रिंटर को इलेक्ट्रो थर्मल प्रिंटर भि कहा जाता है इसे जैक किल्बी ने बनाया था, इस मे गरम पिंस का इस्तेमाल किया जाता है पेपर पर इमेज बनाने के लिए,
इस तरह के प्रिंटर्स इन जगहों पर इस्तेमाल किये जाते है जैसे, हेल्थकेयर, ग्रोसरी, एंटरटेनमेंट, एयरलाइन, इंडस्ट्रीज और बैंकिंग आदि मे,
ये प्रिंटर्स कम पैसों मे आते अहि और फास्ट प्रिंट करते है, इन प्रिंटर्स के साथ लगातार काम किया जा सकता है कियोंकि इसमें कार्ट्रिज और रिबन को बदलने कि ज़रूरत नहीं होती. थर्मल प्रिंटर को यहाँ पर देखसकते है.
फायदें | नुकसान |
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थर्मल प्रिंटर्स को ऑफिस मे मे भि इस्तेमाल किया जाता है कियोंकि इन प्रिंटर्स मे आवाज़ नहीं होती | प्रिंटिंग के वक़्त बहुत जियादा हीट कि वजह्स ए प्रिंटहेड को नुकसान पहुच सकता है, अगर प्रिंटहेड टूटता है तो उसे रिपेयर करना होगा या नया खरीदना होगा |
जैसा के हमने कहा सस्ते और फास्ट होते है | स्टारडदर्द प्रिंटर्स कि तरह थर्मल प्रिंटर अच्छे कलर प्रिंट नहीं करसकते |
इसको इस्तेमाल करने पर रिबन और कार्ट्रिज बदलने का समय बचता है |

8. Sublimation Printers
ये प्रिंटर भि हीट का इस्तेमाल करता है इंक से प्रिंटिंग करने के लिए, इसमें सबसे पहले स्पेशल पपेर पर ज़रूरी चीज़े प्रिंट करता है फिर उस पापर को हीटिंग कंडीशन मे लाता है जिस्स्से पेपर कि इंक गैस बनकर ऑब्जेक्ट या फैब्रिक पर प्रिंट होजाती है,
टी-शर्ट, सॉक्स, आदि जैसे फैब्रिक जिसमे पाली मटेरियल होता है इनपर प्रिंट करने के लिए सबलिमेशन प्रिंटर्स का इस्तेमाल होता है लेकिन नेचुरल फैब्रिक के लिए ये काम नहीं करता है जैसे सिल्क और कॉटन.
9. Plotter
प्लॉटर हार्डवेयर मशीन होते है जिसे सबसे पहले रेमिंगटोन-रैंड ने 19५३ मे बनाया था, इसे वेक्टर ग्राफ़िक को प्रिंट करने के लिए बनाया गया है,
इसमें इंक और तोंनेर कि जगह पेंसिल, पेन मार्कर जैसे द्रविंग टूल का इस्तेमाल होता है, प्लॉटर के भि टाइप होते है जैसे, इंकजेट प्लॉटर, फ्लैटबेड प्लॉटर, कट्टिंग प्लॉटर, इलेक्ट्रोस्टेटिक प्लॉटर और ड्रम प्लॉटर.
फायदें | नुकसान |
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इसमें टेम्पलेट और पैटर्न को डिस्क मे सेव करते है, | प्लॉटर दुसरे प्रिंटर्स के मुकाबले महेंगे होते है |
इसके ज़रिये एक पैटर्न हज़ार बार उतार सकते है, | प्लॉटर को रखने के लिए जगह भि बहुत लगती है, |
प्लॉटर के ज़रिये दो फीट और इससे भि जियादा बड़े शीट पर प्रिंट करसकते है अच्छे क्वालिटी मे, | |
एल्युमीनियम, स्टील, प्लाईवुड, प्लास्टिक, शीट और फ्लैट फ्लैट शीट मटेरियल पर प्रिंट करसकते है, |
People Also Ask
1. इंकजेट प्रिंटर और लेज़र प्रिंटर मे क्या फर्क है?
- इंकजेट प्रिंटर लेज़र प्रिंटर से दस गुना जियादा महँगा होता है कियोंकि इंकजेट प्रिंटर मे बार बार इंक बदलना पड़ता है,
- लेज़र प्रिंटर सुखे इंक को इस्तेमाल करता है और इंकजेट प्रिंटर गीले इंक को इस्तेमाल करता है,
- अगर पेपर गेला होगा तो इंकजेट प्रिंटर ब्लर प्रिंट करता है और लेज़र प्रिंटर ब्लर प्रिंट नहीं करता.
2. 3डी प्रिंटर्स कैसे काम करता है?
इस प्रिंटर मे कंप्यूटर-एडिड डिजाईन (CAD) होता है अब जो ऑब्जेक्ट प्रिंटर मे डाला जाता है उस ऑब्जेक्ट का सीएडी (CAD) मे प्रोटोटाइप बनाया जाता है, फिर इस प्रोटोटाइप को एसटीएल stereolithography को भेजा जाता है, प्रिंटर मे इस प्रोटोटाइप को प्रोसेस किया जाता है फिर इसे रीक्रिएट किया जाता है.
निष्कर्ष?
आज हमने जाना के प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं, Types of printer in hindi और किस प्रिंटर को किसने कब बनाया, प्रिंटर काम क्या करता है, प्रिंटर के प्रकार के फायदे और नुकसान क्या है आदि,
आशा है आपको इस ‘प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं’ का जवाब मिलगया होगा कुछ पूछना है तो कमेंट करे और दूसरों शेयर करे ताके दूसरों को भि पता चले के printer kitne prakar ke hote hain, हमारा ये आर्टिकल ‘Printer ke prakar’ यहीं समाप्त होता है
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