Transistor kya hai किसने बनाया, प्रकार, भाग, फायदें?

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आज हम जानेंगे के Transistor kya hai, कैसे काम करता है, ट्रांजिस्टर को किसने और कब बनाया, ट्रांजिस्टर क्यूँ ज़रूरी है, ट्रांजिस्टर के प्रकार, बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर क्या है, फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर क्या है, ट्रांजिस्टर के पार्ट और ट्रांजिस्टर को कहा कहा इस्तेमाल किया जाता है, ट्रांजिस्टर के फायदें क्या है और लिमिटेशन क्या है, आदि,

इन सारे सवालों के जवाब को आपको इस आर्टिकल मे मिलजायेंगे इसलिए आर्टिकल को आखिर तक पढ़े, चलिए देखते है ट्रांजिस्टर क्या है?

ट्रांजिस्टर क्या है?

ट्रांजिस्टर एक तरह का सेमीकंडक्टर डिवाइस है जिसको बनाने के लिए सलीकों और जर्मेनियम का इस्तेमाल होता है, ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करंट को इन्सुलेट और कंडक्ट करने के लिए किया जाता है, आसान भाषा मे कहे तो ट्रांजिस्टर स्विच कि तरह काम करता है जो Electrical Signals के फ्लो को रेगुलेट और कंट्रोल करने इस्तेमाल होता है.

ट्रांजिस्टर के बिना इलेक्ट्रिक सर्किट को बनाया नहीं जासकता, ये साइज़ मे बहुत छोटे है लकिन इनका इस्तेमाल बहुत किया जाता है, सबसे जियादा इसका इस्तेमाल सिगनल को अम्प्लिफी करने के लिए किया जाता है, आजकल के ज़यादातर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस मे ट्रांजिस्टर एक कीय कंपोनेट बंचुका है, ट्रांजिस्टर को 1947 मे जॉन बर्दीन, वाल्टर बब्रत्तैन और विलियम शोच्क्ले ने डेवेलोप किया था, साइंस के इतिहास मे ट्रांजिस्टर को बहुत बड़ा अविष्कार माना जाता है,

ट्रांजिस्टर के तीन भाग है जिन्हें टर्मिनल्स कहा जाता है जो करंट carry करते है और इन टर्मिनलस को दुसरे सर्किट से जुड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इन टर्मिनल्स का नाम है बेस, कलेक्टर और अमिटर, ट्रांजिस्टर अलग अलग प्रकार के होते है और अलग तरह से काम करते है जिनको हम विस्तार से आगे जानेंगे, आशा है अब आपको Transistor kya hai पता चलगया होगा.

ट्रांजिस्टर को किसने invest किया?

सबसे पहले 1925 मे जर्मनी के वैज्ञानिक ‘यूलियस एडगर लिलियेंफ़ंड’ ने इफेक्ट ट्रांजिस्टर के लिए कनाडा मे मे पेटेंट के लिए पत्र लिखा था लेकिन किसी भि तरह का कोई एविडेंस ना होने पर इसे एक्सेप्ट नहीं किया गया,

फिर 1947 मे तीन अमेरिकैन John Bardeen, Walter Brattain and William Shockley ने बेल्ल लेब्स मे ट्रांजिस्टर का अविष्कार किया था, ट्रांजिस्टर को इन्वेंट करने से पहले वैक्यूम टुब का इस्तेमाल होता था इलेक्ट्रिक सिगनल को रेगुलेट करने के लिए, ट्रांजिस्टर के अविष्कार कि वजह सेहि कंप्यूटर इतना डेवेलोप होपाया है,

ट्रांजिस्टर कि वजह से डिवाइसेस छोटे, हलके, और पॉवर कम खर्च करते थे वैक्यूम टूब के मुकाबले, ट्रांजिस्टर बहुत स्ट्रोंग और कम पॉवर लेते थे और इसे वैक्यूम टूब कि तरह एक्सटर्नल हीटरस कि ज़रूरत नहीं होती, अब आपको पता चलगया होगा के ट्रांजिस्टर क्या है और किसने इन्वेंट किया है.

ट्रांजिस्टर के प्रकार?

Transistor kya hai

ट्रांजिस्टर दो प्रकार होते है,

  • पहला बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT),
  • फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर (FET).

1. Bipolar Junction Transistor

इस ट्रांजिस्टर को 1947 मे जॉन बर्दीन, वाल्टर बब्रत्तैन और विलियम शोच्क्ले ने बनाया था, बीजेटी (BJT) के तीन टर्मिनलस होते है बेस (Base), इमिट्टर (Emitter) और कलेक्टर (Collector), करंट के सबसे छोटे flow को बेस और इमिट्टर कंट्रोल करते है और सबसे बड़े करंट फ्लो को इमिट्टर और कलेक्टर टर्मिनल कंट्रोल करते है,

बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल कहा होता है:

  • लॉजिकल सर्किट मे बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है,
  • इसे एम्पलीफायर कि तरह इस्तेमाल किया जाता है,
  • इलेक्ट्रॉनिक स्विच का काम भि बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर करता है,
  • बीपीटी को डीमोदुलेटर और औक्सिलेटर कि तरह काम लिया जाता है.

बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर के दो प्रकार:

PNP Transistor

इस ट्रांजिस्टर मे एक N-type मटेरियल होता है जो दो P-type मटेरियलस के बीच होता है जिसकी वजह से ट्रांजिस्टर करंट के फ्लो को कंट्रोल करता है, गौर से समझे के पीएनपी ट्रांजिस्टर मे दो crystal diodes होते है

जो एक दुसरे से सीरीज मे जुड़े होते है, जो राईट साइड का डायोड होता है उसे ‘कलेक्टर-बेस डायोड’ कहते है और जो लेफ्ट साइड का डायोड होता है इसे ‘इमिट्टर-बेस डायोड’ कहते है.

NPN Transistor

इस ट्रांजिस्टर मे, एक पी-टाइप का मटेरियल होता है जो दो एन-टाइप मटेरियल के बीच मे होता है, इसलिए इसका नाम भि ऐसा हि है, आसान भाषा मे कहे तो एनपीएन का काम होता है के कमज़ोर signals को स्ट्रोंग सिगनल्स मे amplify करे,

एनपीएन ट्रांजिस्टर मे इलेक्ट्रॉन्स इमेट्टेर से हटकर कलेक्टर मे आते है जिससे करंट बनता है ट्रांजिस्टर मे और ऐसे ट्रांजिस्टर सबसे जियादा circuit मे इस्तेमाल होता है.

2. Field Effect Transistor

फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर के भि तीन टर्मिनल है Gate, Source और Drain. एफइटी एक Unipolar ट्रांजिस्टर है जिसमे कंदकशन के लिए N channel और पी चैनल (P channel) का इसेमल किया जाता है, ये ट्रांजिस्टर बहुत छोटे होते है और बिजली कि खपत भि कम करते है, फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर के इस्तेमाल:

  • ओस्सिलेशन सर्किट मे इसका इस्तेमाल किया जाता है.
  • मुल्टीप्लाक्सेर और शिफ्ट ओसिलेटर मे भि ‘फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर ’ का इस्तेमाल किया जाता है.
  • मापने वाले डिवाइसेस मे बहुत काम अता है और रिसीवर मे बफर कि तरह काम करता है.
  • फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर को कास्केड एम्पलीफायर और वेरिएब्ल रजिस्टर के तौर पर भि उपयोग किया जाता है.
  • इसे डिजिटल सर्किट मे भि यूस किया जाता है और आवाज़ नहीं करता इस लिए लो नॉइज़ एम्पलीफायर मे भि इसका इस्तेमाल होता है.

ट्रांजिस्टर के भाग?

ट्रांजिस्टर क्या है (Transistor kya hai)

ट्रांजिस्टर क्या है इसको अच्छी तरीके से जानने के लिए ट्रांजिस्टर के भाग भि जाने, ट्रांजिस्टर के तीन टर्मिनल्स होते है:

  • बेस- इसे ट्रांजिस्टर को एक्टिवेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
  • कलेक्टर- ये ट्रांजिस्टर कि पॉजिटिव लीड (Positive lead) है.
  • इमिट्टर- ये ट्रांजिस्टर कि नेगेटिव लीड है.

ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है?

ट्रांजिस्टर क्या है (transistor kya hai) और प्रकार कितने है येतो जान लिया अब ट्रांजिस्टर काम कैसे करता है ये जाने, इलेक्ट्रिक सिगनल को रेगुलेट करने के लिए ट्रांजिस्टर एक स्विच या गेट कि तरह काम करते है जिसमे इलेक्ट्रॉनिक गेट एक सेकंड मे बहुत बार बंद और चालू होते है, ट्रांजिस्टर का काम है सर्किट ओन होना चाहिए करंट फ्लो होते समय और बंद होना चाहिए अगर करंट फ्लो नहीं होरहा है तो,

ट्रांजिस्टर अप्लिफीय करने मे भि बहुत काम अता है जैसे रेडियो एफएम रिसीवर मे जो इलेक्ट्रिकल सिगनल मिलते है शायद वीक हो डिस्टर्बेंस कि वजह से, इसलिए यहां अम्प्लिफीकेशन कि ज़रूरत होती है साउंड बाहेर निकलने के लिए, ट्रांजिस्टर सिगनल को स्ट्रोंग बनाकर अप्लिफीकेशन करते है.

ट्रांजिस्टर क्यूँ ज़रूरी है?

ट्रांजिस्टर इतने छोटे होते है और इलेक्ट्रॉनिक स्विच का काम करते है, इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) मे ये बेसिक एलिमेंट होते है, इंटीग्रेटेड सर्किट मे बहुत जियादा ट्रांजिस्टरस होते है जो एक दुसरे से इंटरकनेक्टेड होते है, ये सारे सिर्फ ए सिलिकॉन माइक्रोचिप मे होता है,

माइक्रोप्रोसेसर बनाने के लिए बहुत सारे ट्रांजिस्टरस का इस्तेमाल होता है, सिर्फ एक आईसी (IC) मे लाखो ट्रांजिस्टर एम्बेडेड होते है, इनका इस्तेमाल कंप्यूटर मेमोरी चिप मे किया जाता है, स्मार्टफोन, कैमरा और इलेक्ट्रॉनिक गेम्स के मेमोरी स्टोरेज डिवाइस मे भि किया जाता है,

आजकल के लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मे जो IC इस्तेमाल होते है, इन सब मे ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होता है, ट्रांजिस्टर को इस्तेमाल Inverters मे भि होता है जो आल्टरनेटिंग करंट को डायरेक्ट करंट मे बदलते है, अब आपको पता चलगया होगा के ट्रांजिस्टर क्या है और क्यूँ ज़रूरी है.

ट्रांजिस्टर क्या है (Transistor kya hai)

ट्रांजिस्टर के फायदें और नुकसान?

फायदें?

  • ट्रांजिस्टर फास्ट होते है.
  • एम्पलीफायर मे भि ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है.
  • ट्रांजिस्टर को इतना जियादा इसलिए इस्तेमाल किया जाता है कियोंकि ये सस्ते होते है.
  • माइक्रोप्रोसेसर जिन चिप्स से बनता है उनमे बहुत सारे ट्रांजिस्टर होते है.
  • ट्रांजिस्टर कि लाइफ लोंग होती है लगातार काम करने के बाद भि जलधि ख़राब नहीं होते.
  • ट्रांजिस्टर करंट फ्लो के लिए स्विच बनता है.
  • ट्रांजिस्टर कम वोल्टेज पर भि अच्छे से काम करता है.

नुकसान?

जैसे के आपने ऊपर ट्रांजिस्टर के फायदें पढ़े उसी तरह इसके कुछ लिमिटेशन भि है चलिए उन्हें भि देखते है,

  • ट्रांजिस्टर रेडिएशन और कॉस्मिक रे से effect होते है.
  • इसमें हाई इलेक्ट्रान कि गतिशीलता कि कमी होती और ये ट्रांजिस्टर का सबसे बड़ा नुकसान है.
  • ट्रांजिस्टर किसी भि थर्मल या इलेक्ट्रिकल एक्सीडेंट से डैमेज बहुत जल्दी होते है.

सवाल (FAQ)

1. ट्रांजिस्टर किस चीज़ से बनता है?

ट्रांजिस्टर को सेमीकंडक्टर से बनाया जाता है इनको बनाने के लिए सिलिकॉन (silicon), जेर्मेनियम (germanium) और गैलियम आर्सेनाइड (gallium arsenide) का उपयोग होता है.

2. ट्रांजिस्टर और रेडियो मे क्या अंतर है?

रेडियो आडियो सिगनल और संगीत के लिए इस्तेमाल होता था जब बादमे ट्रांजिस्टर ने रेडिओ कि जगह लेली इसलिए रडियो को ट्रांजिस्टर भि कहा जाने लगा, ट्रांजिस्टर जगह भि कम लेता है और करंट भि कम खर्च करता है.

3. एनपीएन (NPN) और पीएनपी (PNP) ट्रांजिस्टर मे क्या अंतर है?

  • एनपीएन ट्रांजिस्टर मे इलेक्ट्रान के नंबर जियादा होते है और पीएनपी ट्रांजिस्टर मे होल्स जियादा होते है,
  • एनपीएन ट्रांजिस्टर मे करंट जाता है कंडक्टर से इमेट्टेर के तरफ और पीएनपी ट्रांजिस्टर मे करंट जाता है इमेट्टेर से कंडक्टर कि तरफ,
  • पीएनपी ट्रांजिस्टर को चालू करने पर बेस नेगेटिव सप्लाई देता है और एनपीएन ट्रांजिस्टर ओन करने पर बेस पॉजिटिव सप्लाई करता है
  • एनपीएन ट्रांजिस्टर मे इलेक्ट्रान कि संख्या पीएनपी ट्रांजिस्टर से जियादा होती है.

निष्कर्ष?

आज हमने सीखा के Transistor kya hai, ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है, ट्रांजिस्टर को किसने और कब बनाया, ट्रांजिस्टर क्यूँ ज़रूरी है, ट्रांजिस्टर के प्रकार, बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर क्या है, फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर क्या है, ट्रांजिस्टर के पार्ट और ट्रांजिस्टर को कहा कहा इस्तेमाल किया जाता है, ट्रांजिस्टर के फायदें क्या है और लिमिटेशन क्या है, आदि,

आशा है आपको इस सवाल transistor kya hai का और भि कुछ पूछना या कहने के लिए कमेंट करे और शेयर करे ताके दूसरों को भि पता चले के ‘ट्रांजिस्टर क्या है’ आजका हमारा ये आर्टिकल ‘what is transistor in hindi’ यहीं समाप्त होता है.

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