System Software Kya Hai: Features, Types

आज हम जानेंगे कि सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है (system software kya hai), सिस्टम सॉफ्टवेयर के कितने प्रकार होते हैं, ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है, सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर में क्या अंतर होता है, इन सभी बातों को कम शब्दों में विस्तार से जानेंगे, इसलिए आपको यह ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है’ आर्टिकल पूरा पढ़ना चाहिए।

आसान शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर बहुत सारे कोड और इंस्ट्रक्शन के आधार पर एक प्रोग्राम बनाता है, जिसे हम देख और छू नहीं सकते। सॉफ्टवेयर के दो प्रकार होते हैं – एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। आज हम सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में जानेंगे कि सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है और यह कैसे काम करता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है? (System Software Kya Hai)

सबसे पहले तो यह जानने की आवश्यकता है कि कंप्यूटर में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों की बहुत ज़रूरत होती है। इन दोनों में से अगर कोई एक भी नहीं हो, तो कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया जा सकता। हार्डवेयर का मतलब कंप्यूटर सिस्टम के फिजिकल पार्ट है, जिसे हम छू सकते और देख सकते हैं। सॉफ्टवेयर का मतलब कंप्यूटर सिस्टम और उपयोगकर्ता के बीच कनेक्शन बनाने वाला प्रोग्राम होता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर एक बहुत महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर के प्रकार होता है, जो कंप्यूटर सिस्टम की रिसोर्सेज को प्रबंधित करने के लिए होता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के अन्य सॉफ्टवेयर के लिए प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, हार्डवेयर और एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के साथ आंतरिक रूप से काम करता है, हार्डवेयर और अंत-उपयोगकर्ता के बीच इंटरफ़ेस प्रदान करता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को प्रबंधित करता है, बिना सिस्टम सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर की शुरुआत नहीं हो सकती।

इसे नीचे स्तर का सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है, क्योंकि यह कंप्यूटर के मूल स्तर पर सभी कार्यों को करता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर को लो-लेवल भाषा में लिखा जाता है, जैसे कि कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल होता है, उसी तरह सिस्टम सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल होता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर को आमतौर पर कंप्यूटर निर्माता कंपनियाँ ही तैयार करती हैं, अब आपको पता चल गया होगा कि सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के फीचर

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है

ये तो जान्लिया अब इसके फीचर भि जाने, सिस्टम सॉफ्टवेयर के बहुत ज़रूरी फीचर कि लिस्ट:

  • यह तो जान लिया अब इसके फीचर भी जाने, सिस्टम सॉफ़्टवेयर के बहुत ज़रूरी फीचर की लिस्ट: सिस्टम सॉफ़्टवेयर का साइज़ छोटा होता है और मैनिपुलेशन में बहुत मुश्किलें होती है।
  • इसे अक्सर लो-लेवल लैंग्वेज में लिखा जाता है जो सिर्फ़ मशीन समझ सकती है और सिस्टम सॉफ़्टवेयर को समझना बहुत मुश्किल होता है।
  • सिस्टम सॉफ़्टवेयर ही कंप्यूटर और हार्डवेयर को कनेक्टेड रखता है और कंप्यूटर को रन करने के लिए भी इसकी बहुत ज़रूरत होती है।
  • सिस्टम सॉफ़्टवेयर को डिज़ाइन करना मुश्किल है।
  • सिस्टम सॉफ़्टवेयर की स्पीड जितनी होगी, उतना अच्छा होगा क्योंकि कंप्यूटर में रन करने के लिए हाई लेवल के सॉफ़्टवेयर को प्लेटफ़ॉर्म देना होता है।
  • कंप्यूटर सिस्टम बहुत क्लोज (close) होता है, इसलिए इसे सिस्टम सॉफ़्टवेयर कहते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार? (Tuypes of system software in Hindi)

Operating System

अब तक आपने जान लिया है कि सिस्टम सॉफ़्टवेयर क्या है? अब इसके प्रकार भी जानिए, ऑपरेटिंग सिस्टम एक बेसिक प्रकार का सिस्टम सॉफ़्टवेयर होता है जो हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर को मैनेज करने में कंप्यूटर की मदद करता है, ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सेंट्रल पार्ट होता है और हर कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम की ज़िम्मेदारी होती है कि हर फ़ंक्शन स्मूथली हो, ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में इतना महत्वपूर्ण होता है कि बिना इसके कंप्यूटर ऑन नहीं होता,

ऑपरेटिंग सिस्टम के कॉमन उदाहरण हैं लिनक्स, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज, एंड्रॉयड, और मैकओएस, कंप्यूटर जिनमें एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर और दूसरे प्रोग्राम होते हैं, उनके रिकॉर्ड रखने और कंट्रोल करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम करता है, अब आपको पता चल गया होगा कि ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ़्टवेयर क्या है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के काम

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है, (System software kya hai),
  • ऑपरेटिंग सिस्टम कि वजह से अंजान लोगों को एक्सेस नहीं मिलता कियोंकि इसमें पासवर्ड फैसिलिटी होती है,
  • ऑपरेटिंग सिस्टम एंड-यूजर के इंस्ट्रक्शन के हिसाब से कंप्यूटर के सारे हार्डवेयर एक्टिवेट करता है,
  • ऑपरेटिंग सिस्टम के दुअरा हि नये सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करसकते है और एरर को ट्रबलशूट करसकते है,
  • सिस्टम का सहीं तरीके से इस्तेमाल हो इसका ध्यान ऑपरेटिंग सिस्टम रखता है और कंप्यूटर मे एर्रोर्स (errors) को रन करने से रोकता है,
  • ऑपरेटिंग सिस्टम अपने शेदुलिंग अल्गोरिथ्म्स कि अमादा से प्रोसेस को शेदुल (Shedule) करसकता है
  • इसी कि वजह से अपने कंप्यूटर मे नेटवर्क को एक्सेस करसकते है,
  • ऑपरेटिंग सिस्टम कि वजह से एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को पलाटफॉर्म मिलता है जिसकी वजह से यूजर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करपाते है,
  • ऑपरेटिंग सिस्टम सारे इनपुट और आउटपुट डिवाइसेस को कंट्रोल करता है जैसे, मॉनिटर, माउस, माइक्रोफ़ोन, कीबोर्ड, स्कैनर आदि.

यूटिलिटी सॉफ्टवेर (Utility Software)

यूटिलिटी सॉफ़्टवेयर सिस्टम सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर के बीच इंटरफ़ेस का काम करता है, यूटिलिटी सॉफ़्टवेयर एक थर्ड-पार्टी टूल है जिसे कंप्यूटर सिस्टम के एरर को डिटेक्ट करने के लिए और इश्यूज़ को मेन्टेन करने के लिए बनाया गया है, यह सॉफ़्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही आता है हमारे कंप्यूटर में।

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के काम?

  • इसकी मदद से लॉस्ट डेटा को फिर से पास करने और रिकवर करने में मदद मिलती है।
  • हमारे डिस्क के साइज़ को कम करने में मदद करता है, जैसे विनज़िप, विनरेप।
  • इससे यूजर पुराने डेटा का बैकअप ले सकते हैं और इससे सिस्टम की सिक्यूरिटी भी बढ़ती है।
  • एंटीवायरस और दूसरे सिक्यूरिटी सॉफ़्टवेयर को चलाने में यूटिलिटी सॉफ़्टवेयर मदद करता है ताकि डेटा सुरक्षित रहे।
  • यूटिलिटी सॉफ़्टवेयर कंप्यूटर में अनवांटेड चीजों से बचाता है, जैसे थ्रेट्स, स्पाईवेयर और वाइरस से भी बचाता है।
  • डिस्क के पार्टीशन में मदद करता है, यानी विंडोज के डिस्क मैनेजमेंट की तरह काम करता है।
  • डिस्क रिपेयर, नेटवर्किंग प्रोग्राम्स, सिक्यूरिटी, बैकअप, फाइल मैनेजमेंट आदि की मेन्टेनेंस करता है।

डिवाइस ड्राईवर (Device Driver)

डिवाइस ड्राइवर का काम होता है कि सिस्टम में ट्रबलशूटिंग के इश्यूज़ को कम किया जाए, डिवाइस ड्राइवर सिस्टम सॉफ़्टवेयर के कई प्रकार से, ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर से कम्यूनिकेट करता है और इसी कम्यूनिकेशन को डिवाइस ड्राइवर की मदद से आसानी से कंट्रोल और मैनेज किया जा सकता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सारे डिवाइस ड्राइवर होते हैं जो हार्डवेयर कॉम्पोनेंट्स को ड्राइव करते हैं, किसी भी डिवाइस को ऑपरेटिंग सिस्टम से जुड़ने से पहले उस डिवाइस के डिवाइस ड्राइवर होना ज़रूरी है, माउस, कीबोर्ड, आदि जैसे डिवाइसेस के उदाहरण “डिवाइस ड्राइवर” के रूप में होते हैं, जो कंपनी की तरफ से पहले से ही कंप्यूटर के साथ इंस्टॉल होते हैं।

अगर यूजर किसी नए डिवाइस को ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जोड़ना चाहते हैं तो उन्हें डिवाइस ड्राइवर को इंटरनेट से डिवाइस में इंस्टॉल करना होगा, कुछ डिवाइसों के नाम जिनके लिए ड्राइवर की आवश्यकता होती है ताकि वे अच्छे से काम कर सकें:

  • डिस्प्ले कार्ड
  • प्रिंटर्स
  • टचपैड
  • माउस
  • फंक्शन कीस
  • कीबोर्ड्स
  • साउंड
  • नेटवर्क कार्ड, आदि.

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Programming Language Translator)

System software kya hai

प्रोग्रामिंग ट्रांसलेटर वे सॉफ्टवेयर होते हैं जो हाई-लेवल लैंग्वेज को मशीन लैंग्वेज में कन्वर्ट (convert) करते हैं, कंप्यूटर सिर्फ मशीन लैंग्वेज और बाइनरी पैटर्न जो कि 0 या 1 होते हैं, इसे समझते हैं, मशीन लैंग्वेज जो कि सीपीयू भी समझता है, इसे कोई नॉर्मल इंसान नहीं समझ सकता,

इसीलिए एंड-यूजर पहले हाई लैंग्वेज में कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट करते हैं जैसे पीएचपी, सी, पाइथन, सी++, जावा, आदि। अब ट्रांसलेटर का काम शुरू होता है, ये ट्रांसलेटर इन लैंग्वेजेस को मशीन कोड में कन्वर्ट करते हैं,

सीपीयू या कंप्यूटर प्रोसेसर मशीन कोड को बाइनरी में एक्सीक्यूट करते हैं, यानि जो भी प्रोग्राम जो हाई-लेवल लैंग्वेज में लिखा जाता है उसे बाइनरी में कन्वर्ट करना ज़रूरी होता है, इन हाई-लेवल लैंग्वेजेस को मशीन कोड या बाइनरी में कन्वर्ट करने के इस सारे प्रोसेस को कंपाइलेशन (Compilation) कहते हैं,

लैंग्वेज ट्रांसलेटर के प्रमुख दो प्रकार होते हैं कम्पाइलर (Compiler) और इंटरप्रेटर (Interpreter), कम्पाइलर भी एक तरह का सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस को मशीन कोड या लो-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस में कन्वर्ट करता है,

इसी तरह से इंटरप्रेटर का भी यही काम होता है, इन दोनों में सिर्फ एक ही अंतर है कि कम्पाइलर एक साथ सारे प्रोग्राम को एक ही वक़्त में कन्वर्ट करता है और इंटरप्रेटर एक-एक लाइन को अलग से कन्वर्ट करता है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ट्रांसलेटर के काम?

  • प्रोग्राम के सोर्स कोड की डिटेल लिस्ट बनाने में मदद करता है,
  • ट्रांसलेटर की मदद से सिंटेक्स एरर्स का पता लगाया जाता है, जिससे डेवलपर्स की मदद होती है जल्दी से ज़रूरी बदलाव करने के लिए,
  • अगर कोड रूल्स क्राइटेरिया से मेल नहीं करते हैं तो ट्रांसलेटर रिपोर्ट करता है,
  • डेटा को अलोकेट (allocate) करने में मदद करता है,
  • कंप्यूटर प्रोग्राम के ट्रांसलेटर उदाहरण हैं, इंटरप्रेटर्स, कंपाइलर, और असेम्बलर्स।

फर्मवेयर सॉफ्टवेर (Firmware Software)

फर्मवेयर सॉफ़्टवेयर कंप्यूटर के मदरबोर्ड में इन्स्टॉल होता है, हर फर्मवेयर का पहला काम होता है कि इंडिविजुअल डिवाइसेस (व्यक्तिगत डिवाइसेस) की सारी एक्टिविटिज़ को कंट्रोल और मैनेज करना, जिसकी मदद से ऑपरेटिंग सिस्टम फ्लैश, रोम, ईप्रॉम और मेमोरी चिप्स को पहचान पाता है।

फर्मवेयर डिवाइसेस के अंदर होता है और डिवाइस ड्राइवर ऑपरेटिंग सिस्टम में इन्स्टॉल होता है, फर्मवेयर पहले नॉन-वोलेटाइल चिप्स में होता था लेकिन अब फ्लैश चिप्स में होता है, चिप्स के दो प्रमुख प्रकार हैं, पहला (बायोस) यानी बेसिक इनपुट/आउटपुट सिस्टम चिप और (यूईएफआई) यानी यूनिफ़ाइड एक्सटेंडेड फर्मवेयर इंटरफ़ेस चिप, अब आपको पता चल गया होगा कि सिस्टम सॉफ़्टवेयर क्या है और उसके प्रकार कितने होते हैं।

1. सिस्टम सॉफ्टवेयर vs एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अंतर?

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरसिस्टम सॉफ्टवेय
1. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को किसी स्पेसिफिक काम के लिए डिजाईन किया जाता है, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को हाई-लेवल लैंग्वेज मे लिखा जाता है जैसे पाइथन, जावा, पीएचपी. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को सिस्टम सॉफ्टवेयर कि ज़रूरत होती है डिवाइस मे रन करने के लिए,
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर यूजर के लिए बहुत इंटरैक्टिव होते है, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के उधारण है स्प्रेडशीट, वेब ब्राउज़रस, नोटपेड़, वीएलसी मीडिया प्लेयर, आदि जैसे हर वो प्रोग्राम जो आप अपने मोबाइल मे ऐप्स (apps) के नाम से इस्तेमाल करते है.
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर को बहुत सारे कामों को करने के लिए बनाया जाता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर लो-लेवल लैंग्वेज मे लिखे जाते है, सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को रन करने के लिए प्लेटफार्म देता है,
2. सिस्टम सॉफ्टवेयर यूजर से जियादा इंटरैक्टिव नहीं होते कियोंकि ये हमेशा बैकग्राउंड मे फंक्शन करते है, सिस्टम सॉफ्टवेयर के उधारण है ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ट्रांसलेटर, डिवाइस ड्राईवर, फर्मवेयर आदि. आज का आर्टिकल “सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है” यहीं समाप्त होता है.

निष्कर्ष?

आज हमने जाना के System software kya hai, सिस्टम सॉफ्टवेयर के कितने प्रकार होते है, ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है अंतर क्या है, आदि.

आशा है आपको सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है से जुड़े सारे सवालों के जवाब मिलगये होंगे और भि कुछ पूछने के लिए कमेंट करे और अपने दोस्तों को शेयर करे ताके उन्हें भि पता चले के System software kya hai, हमारा ये आर्टिकल ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है’ यहीं समाप्त होता है.

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