टेबल ऑफ़ कंटेंट
- मार्केटिंग क्या है?
- मार्केटिंग क्यूँ करते है?
- मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग?
- मार्केटिंग के प्रकार?
- मार्केटिंग के फायदें?
- मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाये?
- बी2बी और बी2सी?
आज हम जानेंगे के Marketing kya hai, कैसे काम करता है, किस प्रकार के मार्केटिंग होते है क्यूँ मार्केटिंग ज़रूरी है, मार्केटिंग के फायदें क्या है नुकसान क्या है, ब्रांडिंग क्या है, आदि. चलिए देखते है मार्केटिंग क्या है.
मार्केटिंग क्या है?
मार्केटिंग एक प्रोसेस है जिसमे आपके प्रोडक्ट और सर्विसेज मे इंट्रेस्टेड कस्टमर आपको मिलते है, मार्केटिंग मे प्रोडक्ट या सर्विस कि प्रोमोटिंग, सेल्लिंग, रीसर्चिंग, डिस्ट्रीब्यूटिंग ये सारि चीज़े अति है. मार्किट और कस्टमर बिहेविअर को स्टडी करना और कमपनीस के कमर्शियल मैनेजमेंट को इस तरहा एनालाइज करना के जिससे कस्टमर कि खोहिश और ज़रूरत को सटिसफी किया जासके, जिससे ब्रांड लॉयल्टी बढती है.
Definition of what is marketing in hindi?
मार्केटिंग का मतलब है कोई भि एक्शन जिससे प्रोडक्ट या सर्विस कि प्रोमोटिंग होती है, इसमे मार्किट रिसर्च और एडवरटाइजिंग भि शामिल है. आजकल हर कंपनी और आर्गेनाइजेशन मार्केटिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करके अपने बिज़नेस को बढ़ारहीं है और आज मार्केटिंग बिज़नेस का मेह्तापोर्ण हिस्सा बनछुका है.
ज़यादातर लोगों को मार्केटिंग के बारेमे पता हि नहीं हिया अगर उनसे पुच आजाये तो वो ‘एडवरटाइजिंग’ या ‘सेल्लिंग’ कहेंगे ये गलत जवाब नहीं है कियोंकि ये मार्केटिंग का हिस्सा है इसके अलावा भि मार्केटिंग के बहुत सारे हिस्से है जैसे
डिजाइनिंग, मटेरियल बनाना, प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूशन, प्रोमोटिंग, लैंडिंग पेजेज, मार्किट रिसर्च करना, सोशल मीडिया कंटेंट, आदि जैसे बहुत सारे चीज़े है. अब आपको पता चलगया होगा के मार्केटिंग क्या है अब जानते है मार्केटिंग क्यूँ करते है.
मार्केटिंग क्यूँ करते है?
जैसे के हमने जाना के मार्केटिंग एक प्रोसेस है जिससे लोग मे इंटरेस्ट पैदा किया जाता है कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस के लिए. इस प्रोसेस से इन बातों को पता लगाया जासकता है जैसे मार्किट रिसर्च, कस्टमर इंटरेस्ट, डिस्ट्रीब्यूशन मेथड, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, एडवरटाइजिंग, सेल्स जैसे बिज़नेस कि ज़रूरी चींजों को जानने के लिए मार्केटिंग काम अति है. मार्केटिंग का मौलिक उद्देश कांसुमेर को आकर्षित करना होता है अपने ब्रांड मेसेजिंग के ज़रिये, अपने टारगेट ऑडियंस को लीड मे बदलसकते है.
मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाये?

मार्केटिंग क्या है ये जानने के बाद मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाते है ये जानते है:
- पहले अपने गोल को पहचाने– यानि आप अपने बिज़नेस को कहा तक लेजाना छाते है शोर्ट टर्म और लोग टर्म मे? इसमें अपने ब्रांड कि जागरूकता और सोशल मीडिया पर अपनी जगह बनाना शामिल करें.
- कस्टमर को पहचानना और मार्किट रिसर्च करना– अपने टारगेट कस्टमर के बारेमे जितना जनसकते है. वह कौन है उकी खोहिश क्या है और ज़रूरत क्या है, आदि.
- अपने मुकाबले के ब्रांडस को एनालिस करना– आपके कॉमपेतिटर कि मार्केटिंग के बारेमे जाने, कौनसे प्रोडक्ट बेजरहे है और अपने कस्टमर से कैसे इंटरैक्ट कररहे है.
- दुसरे से क्या यूनिक है पहचाने (USP)– आपके बिज़नेस मे क्या करने से आप अपने कॉमपेतिटर से बेहतर पसंद बनेंगे? आप मार्केटिंग से अपने ब्रांड का मेसेज कैसे पंहुचाएंगे.
- मार्केटिंग के लिए प्लेटफार्म– आपका बिज़नेस ऑनलाइन या ऑफलाइन होना चहिये या दोनों जगह होना चहिये? कौनसे प्लेटफार्म है जिनपर आपकी ऑडियंस वक़्त बिताती है या विश्वास करती है, आदि. महीनो या सालों से आप जो एक्टिविटी करते है मकसद और दिशा को देखकर वहीँ से आपकी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी होती है, आपको आगे क्या करना चहिये ये भि मार्केटिंग से देखकर तय करसकते है. मार्केटिंग स्ट्रेटेजी दोनों कम और जियादा समय तक के लिए काम आते है.
Marketing vs Advertising
मार्केटिंग बिज़नेस का हिस्सा है और एडवरटाइजिंग मार्केटिंग का हिस्सा है, ये दोनों अलग है एडवरटाइजिंग मार्केटिंग मे हि अति है. मार्केटिंग ये सारि चीज़े अति है जैसे मार्किट रिसर्च, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, सेल्स, प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूशन, कस्टमर सपोर्ट, पब्लिक रिलेशन. मार्केटिंग के लिए ये सारि चीज़े ज़रूरी है, ये चीज़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस्तेमाल कि जाती है, ऑडियंस को पहचानने के लिए, कम्यूनिकेट करने के लिए, ब्रांड लॉयल्टी बढ़ाने के लिए.
वहीँ पर एडवरटाइजिंग मार्केटिंग का अंश है मार्केटिंग के पूरे प्रोसेस का भाग है, ये अक्सर पेड होता है, किसी भि प्रोडक्ट या सर्विस कि अवेरनेस बढ़ाने के लिए, एडवरटाइजिंग के लिए गूगल एड्स का इस्तेमाल किया जाता है जैसे आप इस आर्टिकल के आसपास विज्ञापन देखरहे होंगे, लेकिन ये सिर्फ एक मेथड नहीं है जो मर्केटर इस्तेमाल करते है अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए.
4 Ps of Marketing?

E Jerome McCarthy ने मार्केटिंग कि ‘4 Ps’ के बारेमे बताया, इससे पता चलता है के बिज़नेस के हर स्टेज मे मार्केटिंग कैसे काम करती है.
1. Product
मान लेते है के आप एक प्रोडक्ट के साथ आते है और इसे बेचकर बिज़नेस बनाना चाहते है, अब आगे क्या? अगर आप अयसेहि बेचना शुरू करते है तो शायद आप सफल नाहो,
इसके बदले आपके पास मार्केटिंग टीम होनी चाहिए मार्किट रिसर्च करने के लिए और कुछ क्रिटिकल सवालों का जवाब देसके, जैसे टारगेट ऑडियंस कौनसे है? ये प्रोडक्ट किस मार्किट मे फिट बैठेगा? क्या मेसेज देने से और किस प्लेटफार्म पर देने से प्रोडक्ट सेल बढ़ेगी? सफलता कि सम्भावना बढाने के लिए कैसे अपने प्रोडक्ट को अच्चा बना सकते है?
सुर्वे करने पर लोग प्रोडक्ट के बारेमे क्या सोचते है, उनके मैन मे कौनसे सवाल आते है? मर्केटरस इन सवालों के जवाब का इस्तेमाल बिज़नेस करने, प्रोडक्ट कि डिमांड समजने, प्रोडक्ट कि क्वालिटी बढ़ाने के लिए क्रेट है.
2. Price
आपकी मार्केटिंग टीम सर्वे करके और कॉमपेतिटरस के प्रोडक्ट कि प्राइस को चेक करके ये अंदाज़ा लगाते है के कस्टमर कितने पैसे देना चाहते है प्रोडक्ट के लिए. अगर प्राइस बहुत जियादा होगी तो आप कस्टमर को खोसकते है और अगर प्राइस बहुत कम होगी तो आपको पैसा मिलेगा कम और गवाएंगे जियादा. इसलिए मर्केटरस इंडस्ट्री रिसर्च और कांसुमेर को एनालाइज करके सहीं प्राइस रेंज बताते.
3. Place
कैसे और कहाँ अपना प्रोडक्ट बेचना है ये आपको मार्केटिंग वाले सजेस्त करते है बिज़नेस कांसुमेर को एनालाइज करके. आपका प्रोडक्ट इ-कॉमर्स वेबसाईट मे अच्चा करेगा रिटेल लोकेशन से या इसका उल्टा सजेस्ट करते है. किस लोकेशन मे आपका प्रोडक्ट सहीं रहेगा ये बताते है, नेशनल या इंटरनेशनल.
4. Promotion
प्रमोशन यानि कोई भि ऑनलाइन, प्रिंट एडवरटाइजिंग, इवेंट, डिस्काउंट जो मार्केटिंग टीम बनती है ब्रांड कि अवेरनेस और प्रोडक्ट मे इंटरेस्ट बढ़ाने के लिए, जिससे प्रोडक्ट कि सेल जियादा होती है, बिज़नेस के इस स्टेज पर प्रमोशन के अलग अलग मेथड का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पब्लिक रिलेशन कैंपेन, सोशल मीडिया प्रमोशन या एडवरटाइमेंट.
Strategies Marketing के प्रकार?
टेक्नोलॉजी और इंटरनेट से पहले पुराने/ट्रेडिशनल मार्किट स्ट्रेटेजीस का इस्तेमाल किया जाता था अपना प्रोडक्ट/सर्विस कस्टमर को दिखाने के लिए. चलिए कुछ प्रमुख ट्रेडिशनल मार्केटिंग स्ट्रेटेजीस के बारेमे जानते है: आउटडोर मार्केटिंग (Outdoor Marketing): आउटडोर मार्केटिंग यानि कांसुमेर के घर बाहेर कि एडवरटाइजिंग, जैसे बिल बोर्डस मे, बेंच पर एडवरटासमेंट, वेहिकल पर स्टीकरस, आदि.
Traditional Marketing
प्रिंट मार्केटिंग: प्रिंट मार्केटिंग यानि कोई भि प्रिंटेड कंटेंट जिसे असानिस ए कांसुमेर तक पंहुचाया जासकता है, कंपनीस बहुत सारे प्रिंटर मटेरियल को बनाते थे और एक एके कस्टमर तक पंहुचाते था इसमें ये सारि चीज़े अति है जैसे, मैगज़ीन अड़स, न्यूज़पेपर अड़स, फ्लिएरस आदि.
इवेंट मार्केटिंग: इसमें कस्टमरस को एक जगह इखटा किया जाता है अपने प्रोडक्ट के अबरेमे बात करने के लिए अवेरनेस बढ़ाने के लिए, इसमें कांफ्रेंस, सेमिनारस, रोड शोस, ट्रेड शोस, प्राइवेट इवेंटस
डायरेक्ट मार्केटिंग: ये कंटेंट पोटेंशियल कस्टमर को हि भेजा जाता है, ये प्रिंट मार्केटिंग कंटेंट मेल होसकता है, इसमें कूपनस, फ्री वाउचर और पेमप्लेट भि शामिल है.
इलेक्ट्रॉनिक मार्केटिंग: इसमें टीवी और रेडियो का इस्तेमाल होता है एडवरटाइजिंग करने के लिए. इस डिजिटल कंटेंट को मीडिया के दुअरा कस्टमर तक पुचाया जाता है, इससे कस्टमर का अटेंशन जियादा अच्छी तरीके से खेच सकते है प्रिंट मुकाबले.
Digital Marketing

डिजिटल मार्केटिंग पूरी तरीके अलग है आजकल इसी का इस्तेमाल होता है मार्केटिंग करने के लिए, नये नये इनोवेतिव तरीकों से अपने ब्रांड कि मार्केटिंग कि जाती है चलिए देखते है कुछ प्रमुख डिजिटल मार्केटिंग के प्रकार.
कंटेंट मार्केटिंग: इसमें कंटेंट को बनाया जाता है चाहे वो विडियो सेमिनार हो, इ-बुक हो, इन्फोग्राफ़िक, हो या फिर डाउनलोड किया जाने वाला कंटेंट. इसमें फ्री कंटेंट को को बनाया जाता है जिसमे प्रोडक्ट के बारेमे जानकारी होती है फिर इसके ज़रिये कस्टमर सिर्फ कंटेंट हि नहीं इस्तेमाल करते इसके आगे भि जाते है.
सर्च इंजन मार्केटिंग: इस मार्केटिंग स्ट्रेटेजी से कंपनी दो तरीके से सर्च ट्रैफिक को अपने वेबसाइट पर लाते है, पहले तो कंपनीस सर्च इंजन को पे करते है उनकी साईट रिजल्ट मे दिखने के लिए और दूसरा है ‘एसईओ’ (Search engine optimization) का इस्तेमाल करके आर्गेनिक तरीके से हाई सर्च रिजल्ट मे साईट को पहुचाते है.
सोशल मीडिया मार्केटिंग: इस मार्केटिंग स्ट्रेटेजी मे किसी भि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने पेज को बील्ड करना होता है, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कि तरह इसमें भि कंपनी पैसे देकर एडवरटाइमेंट करती है या लागोरिथ को समाज कर जियादा से जियादा लोगों तक पहुचने कि कोशिश करते है. इसके अलावा आर्गेनिक तरीके से कंटेंट पोस्ट करके फोल्लोवेर से इंटरैक्ट करके फोटोज और वीडियोस डालके अपने पेज को ग्रो करते है.
एफिलिएट मार्केटिंग: एफिलिएट मार्केटिंग को आसान भाषा मे कहें तो किसी कंपनी का प्रोडक्ट कोई और बेचता है यानि थर्ड पार्टी कस्टमर को प्रोडक्ट तक लती है और प्रॉफिट का कुछ कमीशन कंपनी थर्ड पार्टी को देती है, जैसे
इ-मेल मार्केटिंग: इसमें पोटेंशियल कस्टमर को ईमेल या मेसेज भेजे जाते है प्रोडक्ट के बारेमे, इसमें डिस्काउंट, आने वाला प्रोडक्ट या कूपनस होते है. कंपनी कस्टमर के ईमेलस को सेव करके रखति है ताके बादमे इसका इस्तेमाल करसके.
ये भि पढ़े:
मार्केटिंग के फायदें?
अच्छी प्लान कि हुई मार्केटिंग स्ट्रेटेजीस से कंपनी को बहुत सारि जगहों से फायदा मिलता है, अगर अच्छी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनायीं और काम करगयी तो ये रिजल्ट दीखते है.
- मार्केटिंग के ज़रिये कंपनीस अपने प्रोडक्ट को स्पेसिफिक ऑडियंस को टारगेट करसकते है, या जिन लोगों को इस प्रोडक्ट कि ज़रूरत है उन्हें मार्केटिंग के ज़रिये टारगेट किया जासकता है.
- मार्केटिंग के ज़रिये कामकी जानकारी/डाटा मिलता है, उधारण के लिए मार्किट रिसर्च मे पता लगा है के कुछ प्रोडक्ट सबसे जियादा मेंस के दुअरा खरीदा जारह है और उनकी उम्र 18-30 साल कि है तो इस डाटा का इस्तेमाल सेल्स को बड़ा सकते है.
- मार्केटिंग के ज़रिये ब्रांड बनासकते है, कस्टमर आपके प्रोडक्ट को देखकर रिएक्शन देने से पहले मार्केटिंग कंटेंट और मीडिया के ज़रिये कस्टमर से इमोशन या रिएक्शन निकालसकते है जैसा कंपनी चाहती है.
- इसके अलावा मार्केटिंग के ज़रिये अपने कंपनी का मेसेज पूरी दुनिया को बता सकते है, कैंपेन चलासकते है जिससे कंपनी का प्रोडक्ट आपको क्यूँ लेना चहिये ये बताया जासकता है, कंपनी कि हिस्ट्री, ओनरस, मकसद, मोटिवेशन क्या है ये बताया जासकता है, जिसकी वजह से लोग कनेक्ट फील करते है.
- अच्चा, फ्रेंडली और जियादा दिनों तक चलने वाला मार्केटिंग कैंपेन का असर बहुत सालों तक होता है.
- मार्केटिंग अल्टीमेट मकसद या फायदा येही है के सेल्स अये. अगर कस्टमर के साथ रिलेशन पॉजिटिव हो और मज़बूत होतो जियादा चांसेस है के कस्टमर सेलस इन्वोल्व होता है. अगर कॉमपेतिटर और कंपनी का सेम प्रोडक्ट भि होतो मार्केटिंग के ज़रिये आप कस्टमर पर असर करसकते है.
Limitation of Marketing?
- हर कंपनी चाहती है के कस्टमर उनका हि प्रोडक्ट खरीदे उनके कॉमपेतिटर का नहीं, इसलिए हर कोई जियादा से जियादा पॉजिटिव मार्केटिंग से कस्टमर का अटेंशन छटा है अगर बहुत सार कंपनीस कम्पीट करते रहेंगे तो कस्टमर का अटेंशन बैट जायेगा और इसकी वजह से कोई भि मार्केटिंग स्ट्रेटेजी असर नहीं करसकेगी.
- अयसा भि होसकता है इतने पैसे, एफर्ट, रिसोर्सेज मार्केटिंग मे लगाने के बाद सक्सेस ना मिले, क्यूंकि कोई गारंटी नहीं होती के मार्केटिंग कैंपेन से हर बार अच्छे नतीजे आये.
- इकॉनमी पर डिपेंड होता है स्लेस होंगे या नहीं कियोंकि मार्केटिंग से ब्रांड लॉयल्टी औत प्रोडक्ट के बारेमे जानकारी तो कस्टमर तक पहुचजाएगी लेकिन असल मकसद सेल्स होता है अगर मैक्रोइकॉनमी है, एम्प्लॉयमेंट नहीं है, रिसेशन है तो कांसुमेर के बहुत कम चांसेस है के खर्चा करें फिर चाहे मार्केटिंग कैंपेन कितना हि अच्चा क्योंना हो.
What does Marketing do for your business?
- मार्केटिंग से ब्रांड अवेरनेस बढती है और ब्रांड ट्रस्ट लेवल भि बडता है.
- मार्केटिंग से ट्रैफिक बढ़ता है और ट्रैफिक बढ़ने से सेल्स भि बढती है.
- सेल्स बढ़ने से कंपनी का रेवेनुए भि बढ़ता है.
- दुसरे मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने के लिए और असरदार मार्केटिंग करने के लिए डाटा मीट्रिक कि ज़रूरत होती है.
मर्केटर मे कौनसी स्किल होनी चाहिए?
1. Versatile– ऑनलाइन मार्केटिंग मे एक्सपर्ट बनना तो मुश्किल है कियोंकि इसमें बहुत सारे स्किल होते है लेकिन एक अच्छे मर्केटर डिजिटल मार्केटिंग को समजना चहिये टूलस का इस्तेमाल करने आना चहिये और एनालिटिकल स्किल होनी चहिये.
2. Forward–looking– आज के मर्केटर को नये स्किल आने चाहिए या सीखने चाहिए कियोंकि हर वक़्त चीज़े बदलती रहती है वक़्त के साथ खुदको और नया बनाते रहना चहिये आगे क्या आने वला है या क्या ला सकते है ये सोचना चाहिए.
3. Collaborate– 78% प्रोफेशनल ये मानते है के टीमवर्क करना एक ज़रूरी स्किल है, तो कोल्लाबोरेट करने आना चहिये.
4. Consumer–centric– हर brand अपनी मार्केटिंग कांसुमेर को फोकस करके हि बनाता है इसलिए आज कांसुमेर को और उनकी ज़रूरतों को अच्छी तरीके से जानना ज़रूरी है.
5. इसके अलावा अच्छी कम्युनिकेशन स्किल और आर्गेनाइजेशन स्किल होनी चाहिए, बढ़िया टाइम मैनेजमेंट स्किल होनी चाहि और फील्ड से रिलेटेड टेक्निकल स्किल्स होनी चाहिए.
मार्केटिंग का इतिहास क्या है?
मार्केटिंग सालों से बेहतर बनते आरही है और हर दशक मे अमर्केतिंग मे कुछ ना कुछ चेंज आया है चाहिए बिना डिटेल मे जाये शोर्ट मे समजते है के किन सालों मे मार्केटिंग मे क्या चेंज आया है:
1. 1450 से 1900- तक प्रिंटिंग एडवरटाइमेंट (Printed Advertisement) का दौर था, कियोंकि 1450 मे हि गुटेंबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस को इन्वेंट किया था.
2. 1920 से 1949- मे नया मीडिया का इस्तेमाल किया जाने लगा जैसे, रेडियो विज्ञापन शुरू हुआ, टेलीविज़न विज्ञापन शुरू हुआ.
3. 1950 से 1972- मे मार्केटिंग बहुत जियादा तेज़ी से बदली कियोंकि टेलीविज़न और रेडियो से विज्ञापन कम होने लगा, इस वक़्त प्रिंट मीडिया कि पॉपुलैरिटी कम होना शुरू हुई थी.
4. 1973 से 1994- मे डिजिटल एरा (Digital Era) कि शुरुवात हुई थी, इसी वक़्त मे मार्टिन कूपर ने सेल फ़ोन से पहली कॉल कि थी, एप्पल ने नया मैकिनटोश लांच किया था, 2g टेक्नोलॉजी एडवांस हुई थी.
5. 1995 से 2020- तक सर्च इंजन और सोशल मीडिया का ज़माना गया था, इन सालों मे क्या क्या हुआ आपको बताने कि ज़रूरत नहीं है जैसे याहू सर्च इंजन लांच हुआ, गूगल सर्च इंजन लांच हुआ था, इस वक़्त ब्लॉग्गिंग का कांसेप्ट आया, सोशल नेटवर्किंग साईट अये, ट्विटर आया, जियो आया, लोग इंटरनेट पर जियादा वक़्त बिताने लगे, आदि.
Branding kya hai?
ब्रांड कस्टमर के दिमाग मे होती है, एडवरटाइजिंग कि वजह से ब्रांड का परसेप्शन नहीं बदलता है, ब्रांडिंग यानि एक इमेज, एक सेंटिमेंट, एक फीलिंग होती है जो कस्टमर एक ब्रांड के बारेमे अपने दिमाग मे रखता है और ये परसेप्शन कस्टमर और कंपनी के इंटरेक्शन से बनता है.
इस परसेप्शन को कस्टमर के दिमाग से सिर्फ experiences हि बदलसकते है, ब्रांड को कस्टमर एक्सपीरियंस अच्चा करना होगा सिर्फ प्रोडक्ट मेही नहीं बलके कैसे कंपनी कस्टमर से बेहेव करती है और डिलीवरी कैसे करती है अपने एम्प्लोयस को कैसे ट्रीट करती है ये सारे एक्सपीरियंस को मिलकर ब्रांड कि इमेज बनती है या ब्रांड बनता है. उधारण के लिए अगर आप कोई ब्रांड का इस्तेमाल करते है, एप्पल या कोई और ब्रांड के बारेमे कहने को कहें तो आपके दिमाग मे उस ब्रांड को लेकर कोई परसेप्शन होता हि है.
B2B और B2C
बी2बी यानि बिज़नेस टू बिज़नेस (Business to Business) मार्केटिंग, इसमें एक बिज़नेस दुसरे बिज़नेस से जुड़ा होता है, एक कंपनी दुसरे कंपनी को पाना प्रोडक्ट या सर्विस सप्लाई करते है, फिजिकल प्रोडक्ट को जो कंपनीस दुसरे कंपनीस को बेचती है उसे ‘इंडस्ट्रियल गुडस’ (Industrial goods) कहते है. लीगल एडवाइस, मैनेजमेंट कंसल्टेंसी, ट्रेनिंग प्रोविशन, आईटी सर्विसेज भि बी2बी मे हि अति है.
बी2सी यानि ‘बिज़नेस टू कांसुमेर’ (Business to Consumer), यानि अयसे बिज़नेस जो हर एक व्यक्ति को टारगेट करते है, जिनसे कोई भि व्यक्ति सर्विस या प्रोडक्ट अपने इस्तेमाल के लिए खरीद सकता है, इसमें फ़ूड, बेवरेजेज, आप कांसुमेर के खरीदने कि चीज़े जैसे कार्स, टेलीविज़न, मोबाइल, रेफ्रीजिरेटर, कैमरा, वाशिंग मशीन, आदि.
मार्केटिंग क्यूँ ज़रूरी हैं?
- नये कस्टमर का अटेंशन लेने और पुराने कस्टमर को जोड़े रखेने के लिए मार्केटिंग कि मदद लिजती है.
- जियादा से जियादा ट्रैफिक लासकते है और इसकी वजह से सेल्स भि बढ़ते है.
- नये प्रोडक्ट के बारेमे लोगों को बताने के लिए मार्केटिंग का इस्तेमाल किया जाता है.
- मरेक्तिंग के ज़रिये डाटा कलेक्ट करसकते है और इस इनफार्मेशन का इस्तेमाल करसकते है.
People Also Ask
मार्केटिंग स्ट्रेटेजी मे क्या क्या होता है?
1. मार्किट रिसर्च करना और कोम्पेतीशन एनालाइज करना.
2. कस्टमर को समजना, उनी ज़रूरतों और खाहिशों को समजना.
3. मार्केटिंग कैंपेन तैयार करना.
4. बजट तय करना और अच्चा प्लान बनाकर अच्च्चे से एक्सीक्यूट करना.बिज़नेस के लिए Marketers कैसे ढूंढे?
अगर आपको अपने बिज़नेस के लिए मर्केटर चाहिए तो आप अपने ट्वीटर, इन्स्ताग्राम या फच्बूक पर जाकर पोस्ट दालसकते है या फिर अखबार मे इश्तियार देसकते है या फिर ऑनलाइन ढूंडसकते है.
3. मार्केटिंग के पोपुलर प्रकार कौनसे है?
- बी2बी मार्केटिंग
- बी2सी मार्केटिंग
- बी2बी + बी2सी मार्केटिंग
- रिक्रूटमेंट मार्केटिंग.
4. मार्केटिंग क्या है?
मार्केटिंग का मतलब है कोई भि एक्शन जिससे प्रोडक्ट या सर्विस कि प्रोमोटिंग होती है, इसमे मार्किट रिसर्च और एडवरटाइजिंग भि शामिल है. आजकल हर कंपनी और आर्गेनाइजेशन मार्केटिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करके अपने बिज़नेस को बढ़ारहीं है और आज मार्केटिंग बिज़नेस का मेह्तापोर्ण हिस्सा बनछुका है.
निष्कर्ष
मार्केटिंग यानि कोई स्ट्रेटेजी या कोई भि एक्शन जिससे कंपनी को अपने गोल पाने मे मदद मिले, जिससे प्रॉफिट और सेल बढे और ब्रांड का जिससे ब्रांड का परसेप्शन अच्चा होता है. आज हमने जाना के Marketing kya hai कैसे काम करता है, किस प्रकार के मार्केटिंग होते है क्यूँ मार्केटिंग ज़रूरी है,
आशा है आपको इस सवाल Marketing kya hai) का जवाब मिलगया होगा इससे जुड़ा कोई सवाल पूछना होतो कमेंट करें और शेयर करें ताके दूसरों को भि पता चले के ‘मार्केटिंग क्या है’, हमारा ये आर्टिकल ‘Marketing kya hai’ यहीं समाप्त होता है.
ये भि पढ़े: