डीमैट अकाउंट क्या है?
डीमैट अकाउंट के फायदे और नुकसान जानने से पहले डीमैट अकाउंट क्या है ये जानें, डीमैट अकाउ ‘डिमैटेरियलाइज्ड’ (Dematerialised) अकाउंट जिसमे हम खरीदे हुए शेयर्स और दुसरे सिक्योरिटीज जैसे इटीएफ, बांड्स, म्यूच्यूअल फण्ड और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होल्ड करके रखते है।
जब भी कोई इन्वेस्टर शेयर्स खरीदता है तो उसके शेयर्स इस डीमैट अकाउंट में जमा होते है फिर जब बेचता है तो इस डीमैट अकाउंट से खरीदने वाले के डीमैट अकाउंट में शेयर्स ट्रान्सफर होते है।
इन्वेस्टमेंट को सहीं से ट्रैक करने के लिए भी ये मदद करता है। डीमैट अकाउंट से भारतीय शेयर मार्केट में डिजिटल प्रोसेस चालू होता है जिससे सेबी को गवर्नेंस में आसानी होती है।
डीमैट अकाउंट की वजह से सिक्योरिटीज की चोरी होना, खोजाना या डैमेज होना जैसे नुक्सान बहुत कम है कियोंकि डीमैट अकाउंट सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रनिक फॉर्म में रखता है। चलिए देखते है डीमैट अकाउंट के फायदे और नुकसान क्या है।
डीमैट अकाउंट के फायदे और नुकसान क्या है?
डीमैट अकाउंट के फायदे जानें
फ़ास्ट और इजी प्रोसेस बनगया है।
फिजिकल सर्टिफिकेट के मुकाबले ये प्रोसेस आसान हो चूका है। डीमैट अकाउंट के आने से पहले ट्रेड सेटलमेंट के लिए 14 दिन तक लगते थे कियोंकि फिजिकल शेयर पेपर्स को सेलर से आरटीइ और फिर खरीदने वाले के पास भेजा जाता था जिसमे बहुत समय जाता था।
लेकिन अब डीमैट अकाउंट की वजह से ये वक़्त 14 दिन से 2 बिज़नेस दिन पर आचुका है, इससे इन्वेस्टर की जियादा मेहनत नहीं लगती और कम समय में सेटलमेंट भी पूरा होजाता है। आने वाले समय में ये समय और कम होगा और आप एक ही दिन में ट्रेड कर पाएंगे।
सेफ्टी और सिक्यूरिटी बढ़ गयी है।
डीमैट अकाउंट पपेर वर्क से जुड़े नुक्सान को बहुत कम करता है। डीमैट अकाउंट का सबसे बड़ा फायदा ये भी है के अब पहले के मुकाबले जियादा सेफ्टी और सिक्यूरिटी मिलती है। जब सिक्योरिटीज को फिजिकल फॉर्म में जमा किया जाता था तब ये रिस्क होता था के सर्टिफिकेट चोरी न होजये, गुम ना जाये या डैमेज ना होजये, आदि।
इस तरहा के परिस्थिति मे अगर सर्टिफिकेट चोरी या गुम जाते, तो इन्वेस्टर्स को बहुत सारे पेपर वर्क और ऑपरेशनल चुनौतियां से गुज़ारना पढता था, रिकवर होगा फिर भी कोई गारंटी नहीं होती थी। अब डीमैट अकाउंट मे शेयर्स को जमा करना और भी सुरक्षित होगया है। डिमैटेरियलाइज्ड फॉर्म मे बहुत कम चांसेस है चोरी, गुम और डैमेज होने के।
घर बैठे शेयर खरीद सकते है।
आप घर बैठे आसानी ऑनलाइन स्मार्टफोन या लैपटॉप से अपनी इन्वेस्टमेंट को देख सकते है मैनेज कर सकते है, ये डीमैट अकाउंट की वजह से संभव हो पाया है के हम कहीं से भी, कभी भि अपने डीमैट अकाउंट को एक्सेस कर सकते है।
डीमैट अकाउंट आने से पहले शेयर खरीदना और बेचना मुश्किल प्रोसेस था। फिजिकल सर्टिफिकेट की तरह हमें फिजिकल ऑफिस जाकर शेयर खरीदने और बेचने पड़ते थे, लेकिन अब डीमैट अकाउंट की वजह से ऑनलाइन शेयर्स को खरीद भी सकते है और बेच भी सकते है।
ओड-लोट (Odd-lot) प्रॉब्लम नहीं रहीं।
डीमैट अकाउंट की वजह सेओड-लोट/साइज़ लोट प्रॉब्लम ख़तम होगई है, ये डीमैट अकाउंट का बड़े फायदों मेसे एक है। पहले फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट के समय में एक शेयर खरीदना मुश्किल था आपको जियादा शेयर खरीदने और बेचने होते थे लेकिन अब डीमैट अकाउंट की वजह से आप एक शेयर्स भी खरीद और बेच सकते है।
सारे एसेट के लिए एक सलूशन।
डीमैट अकाउंट सिर्फ आपके शेयर्स स्टोर नहीं करता बलके इसके अलावा सारे फाइनेंसियल एसेट को स्टोर कर सकता है जैसे बांड्स, इटीऍफ़, डिबेंचर, म्यूच्यूअल फण्ड और यूएलआईपी (Unit Linked Insurance Policies).
इसका मतलब है के आपके सारे एसेट्स आपको एक ही जगह मिलेंगे जिससे उनकी ट्रैकिंग, मॉनिटर और मेंटेनेंस में आसानी होगी साथ-ही-साथ आपको टैक्सेज फाइलिंग में भी मदद मिल सकती है कियोंकि सारा रिकॉर्ड एक ही जगह पर होगा।
त्रुटियाँ (Errors) कम होगये है।
ऑफलाइन सेटलमें मे बहुत सारा काम मैन्युअल होता है तो इसमें बहुत सारी गलतियाँ भी होई रहती है। इन मैन्युअल एरर को ‘वंदा’ और एरर ट्रेड भि कहते है। जब से डीमैट अकाउंट आया है तब से ये एरर बहुत हद तक कम हुए है, डीमैट अकाउंट का ये एक बड़ा फायदा है।
ट्रांजैक्शंस कोस्ट कम हुए है।
डीमैट अकाउंट की वजह से ट्रांजैक्शंस कास्ट कम हुआ है कियोंकि, फिजिकल पेपर वर्क ख़तम हुआ है, ब्रोकरेज फीस कम हुई है फिजिकल एसेट्स के मुकाबले, डीमैट अकाउंट से जुड़े चार्जेज कम हुए है खतम नहीं, इसलिए डीमैट अकाउंट खोलने से पहले ब्रोकर के सारे चार्जेज को जानलें तभी ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोलें।
ट्रांसमिशन आसान हो गया है।
अगर किसी डीमैट अकाउंट होल्डर की किसी वजह से मौत होजाती है तो एसेट्स की ओनरशिप परिजनों के पास जल्दी जा सकती है। ये आप जॉइंट डीमैट अकाउंट खोलकर कर सकते है या अपने डीमैट अकाउंट में नॉमिनी ऐड करके भी कर सकते है।
पहले जब फिजिकल फॉर्म में शेयर्स सर्टिफिकेट दिए जाते थे तब एय्सा होना संभव नहीं था इसके लिए बहुत सारी मेहनत करनी पड़ती थी। डीमैट अकाउंट की वजह से अब आसानी से और जल्दि से ट्रांसमिशन संभव है।
ऑनलाइन एक्सेस और अकाउंट मैनेजमेंट।
आप ऑनलाइन अपने डीमैट अकाउंट को एक्सेस कर सकते है कहीं से भि, अपने इन्वेस्टमेंट को देख सकते हो, उनके परफॉरमेंस को ट्रैक कर सकते हो, ट्रांजैक्शंस हिस्ट्री देख सकते हो,
अपने पोर्टफोलियो को मैनेज कर सकते हो, इसके अलावा दुसरे एक्टिविटीज जो अकाउंट मैनेजमेंट मे आती हा उन्हें आसानी से एक्सेस कर सकते है।
फॉरेन इन्वेस्टर का भरोसा बढ़ गया है।
डीमैट अकाउंट आने की वजह से ज़ियदा भारतीय शेयर बाज़ार से जुड़ रहे है, शेयर बाज़ार में सारी चीज़े डिजिटल हो रही है और ट्रांसपेरेंसी बढ़ रही है इसलिए फॉरेन इन्वेस्टर्स का नजरिया बदल रहा है वह इंडियन स्तोच्ज मार्केट के बारेमे सोच रहे है और भरोसा कररहे है।
ट्रेड के सारे प्रोसेस का समय कम हुआ है कियोंकि सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखा जाता है और ट्रान्सफर किया जाता है। इस की वजह से आप जियादा ट्रेड कर पाएंगे कम समय मे। तो ये थे कुछ बड़े डीमैट अकाउंट के फायदे जिनको जानना चाहिए चलिए अब डीमैट अकाउंट के नुकसान क्या है जानते है।
डीमैट अकाउंट के नुकसान
डीमैट अकाउंट से जुड़े चार्जेज।
डीमैट अकाउंट के नुकसान से जुड़ा सबसे बड़ा नुक्सान ये होसकता है के इसमें आपको डीमैट अकाउंट ओपनिंग और ऑपरेटिंग कोस्ट और दुसरे चार्जेज देना पड़ते है। डीमैट अकाउंट कोस्ट में ये costs शामिल है जैसे अकाउंट ओपनिंग चार्जेज, ट्रांजैक्शंस चार्जेज, कस्टोडियन चार्जेज और एनुअल मेंटेनेंस चार्जेज।
बहुत सारे ब्रोकर होते है जो बहुत फीस लेते है लेकिन कुछ ब्रोकर कम फीस लेते है कुछ डीमैट अकाउंट खोलने की फीस लेते है और कुछ नहीं लेते जैसे उप्स्टोक्स डीमैट अकाउंट खोलने की फिलहाल फीस नहीं लेता है लेकिन दुसरे चार्जेज लेता हैं।
डीमैट अकाउंट फ्रीज होने का खतरा।
कुछ परस्थिति जैसे लीगल डिस्प्यूट, गैर-अनुपालन और दुसरे रीज़न की वजह से डीमैट अकाउंट फ्रीज होने का खतरा होता है। अकाउंट कोफ्रीज़ किया जाता है या अस्थायी रूप से रिस्ट्रिक्टेड किया जाता है जिससे आप अपने सिक्योरिटीज को एक्सेस नहीं कर सकते है और ट्रेड नहीं कर सकते है।
शोर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट की आदत लग सकती है।
शेयर्स का डिमैटेरियलाइजेशन होने की वजह से ट्रेडिंग करना पहले से कहीं गुना जियादा फ़ास्ट, सिंपल और आसान प्रोसेस बन गया है। इससे शेयर्स होल्डर्स या निवेशक घर बैठे कभी भि ऑनलाइन अपने शेयर्स को ट्रैक कर सकते है ये डीमैट अकाउंट का फायदा लगरहा है लेकिन, ये एडवांटेज शोर्ट-टर्म ट्रेडिंग करने की आदत दाल सकता है, जिससे आप लॉन्ग-टर्म में होने वाले इन्वेस्टमेंट अवसर को मिस कर सकते है।
इसकी वजह से आप लालच की वजह से बार बार ट्रेड करते है जबकि आप नहीं करना चाहते, इसकी वजह से आप अपना पैसा बार बार लोस कर सकते है। ये सबसे बड़े डीमैट अकाउंट के नुकसान मेसे एक है।
स्टॉक ब्रोकर कण्ट्रोल
स्टॉक ब्रोकर के पास शेयर मार्केट में ऑपरेशन्स चलाने की शक्ति होती है। एक इन्वेस्टर के तौर पर, आपको अपने स्टॉक ब्रोकर के क्रियाओं पर नजर रखनी चाहिए। आपको यह देखते रहना चाहिए कि कहीं आपके डीमैट अकाउंट से गलत लेन-देन नहीं हो रहे हैं।
डीमैट अकाउंट बंद करना मुश्किल हो सकता है
एक बार डीमैट अकाउंट खोलने के बाद क्लोज करने में मुश्किल होती है, डीमैट अकाउंट खोलने का प्रोसेस जियादा मुश्किल नहीं है आप ओंल्लिने किसी अच्छे ब्रोक्केर से डीमैट अकाउंट खोल सकते है लेकिन इसे क्लोज करने के लिए आपको ब्रोकर के वेबसाइट पर जाकर क्लोजिंग फॉर्म डाउनलोड करके, उसे फिल करना होता है, केवाईसी डॉक्यूमेंट देने होते है,
अपने स्टॉकब्रोकर तक पहुचना होता हैवोभी ऑफलाइन, आपको फिजिकली ये डाक्यूमेंट्स अपने दीपपी/स्टॉकब्रोकर ऑफिस में पहुचना होगा या हेड ऑफिस में मेल करना होता है। याद रखे के डीमैट अकाउंट में कोई भी शेयर्स नहीं होना चहिये और ना ही नेगटिव बैलेंस होना चाहिए।
डिमैट अकाउंट में वार्षिक मेंटेनेंस चार्ज देना पड़ता है।
ब्रोकर आपसे हर साल डिमैट अकाउंट को मेन्टेन करने के लिए फीस चार्ज करते है जिसे एएमसी (Annual Maintenance Charges) कहते है, एएमसी चार्जेज हर ब्रोकर लेता है ये आपका नुक्सान कर सकता है अगर आपके डिमैट अकाउंट कम वैल्यू वाले शेयर्स है या बहुत कम शेयर्स है तो।
डिमैट अकाउंट में कम वैल्यू वाले शेयर्स होने की वजह से आपको इसका रिटर्न अच्चा नहीं मिलता और आपको एएमसी चार्जेज तो देने ही होंगे। डीमैट अकाउंट के नुकसान वाले लिस्ट में ये भी एक नुक्सान साबित होसकता है।
डीमैट खाते से ओनरशिप ट्रांसफर करना मुश्किल है।
डीमैट अकाउंट के नुकसान की लिस्ट मे अगला नुक्सान ये है के डिमैट अकाउंट की फिजिकल ओनर शिप ट्रान्सफर करने में मुश्किल हो सकती है। अगर आपके पास शेयर्स है लेकिन वो शेयर्स फिजिकल फॉर्म में है यानि फिजिकल सर्टिफिकेट है तो उसे डिमैट फॉर्म में ट्रान्सफर करने के लिए आपको डिमैट फॉर्म फिल करना होगा।
ये सारा प्रोसेस मैन्युअल होता है इसमें कुछ एरर हो सकते है जिससे ट्रान्सफर के प्रोसेस में जियादा समय लग सकता है। अगर आप फिजिकल शेयर्स को डिमैट फॉर्म में ट्रान्सफर करना चाहते है तो ध्यान से फॉर्म फिल करें।
लॉक इन पीरियड से नुकसान होता है।
डीमैट अकाउंट के माध्यम से निवेश करते समय, डीमैट अकाउंट के नुकसान का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान देना चाहिए। लॉक इन पीरियड से आपके निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है, जब आप डीमैट अकाउंट का उपयोग करके निवेश करते हैं। यदि आप किसी आईपीओ में निवेश करते हैं और उसमें लॉक-इन पीरियड होता है, तो आपको उसे इस पीरियड के बिना बेच नहीं सकते। इसलिए, लॉक-इन अवधि आपके निवेश रणनीति पर भी प्रभाव डाल सकती है।
उदाहरण के रूप में, अगर आपने किसी एएमसी में निवेश किया है और उसमें एक लॉक-इन पीरियड है, तो आप उसे उस पीरियड के बिना बेचने की अनुमति नहीं होती।
इसका मतलब है कि आपके निवेश पर लॉक-इन अवधि का प्रभाव हो सकता है और आपकी निवेश रणनीति भी इस पर निर्भर करेगी। इसलिए, आपको सही तरीके से आईपीओ के लिए शोध करना और सही निवेश रणनीति तय करनी चाहिए।
डिमैट अकाउंट क्यूँ बनाना चाहिए?
डिमैट अकाउंट आपको इसलिए खोलना चाहिए कियोंकि इसके बिना आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं कर सकते है, डिमैट अकाउंट की वजह से ही आप शेयर्स को होल्ड कर सकते है। सेबीI (Security & Exchange Board of India) के मुताबिक शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए डिमैट अकाउंट ज़रूरी है।
सबसे अच्छे डीमैट खाते का चयन कैसे करें?
● एक रेपुटेबल और भरोसेमंद ब्रोकर चुने जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्चा हो, कस्टमर रिव्यु अच्छे हो।
● अलग अलग ब्रोकर्स के ओपनिंग चार्जेज और मेंटेनेंस चार्जेज की तुलना करें। कुछ ब्रोकर्स डीमैट अकाउंट खोलने की फीस नहीं लेते।
● ट्रेडिंग चार्जेज क्या है तुलना करें, शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए हर ट्रेड पर चार्जेज होते है उन्हें देखे।
● ब्रोकर्स जो ट्रेडिंग प्लेटफार्म देते है उनकी तुलना करें।
● ऐसे ब्रोकर को चुने जिनसे डीमैट अकाउंट ओपन करके आप अपने पसंद के सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट कर सके।
● दूसरीसर्विसेज जैसे रिसर्च रिपोर्ट्स, पोर्टफोलियो एनालिसिस, एजुकेशनल रिसोर्सेस, आदि जैसे सर्विसेज ऑफर करते है।
●डीमैट अकाउंट खोलेने से पहले ये ज़रूरी है के आप रिसर्चकरें और अच्छे ब्रोकर्स को कंपेयर करें।
डीमेट अकाउंट कैसे खोलें?
स्टेप 1: सबसे पहले एक अच्चा ब्रोकर चुने, आजकल ये दोनों एक हि है।
स्टेप 2: ब्रोकर की ऐप/प्लेटफार्मया और वेबसाइट पर जाकर अपना डीमैट अकाउंट खोलें।
स्टेप 3: डीमैट अकाउंटखोलने का प्रोसेस थोडा लम्बा है आपको इसमें अपने सारे केवाईसी डॉक्युमेंट अपलोड करके वेरीफाई करना होता है। जैसे पैन, कार्ड आधार, पासपोर्ट साइज फोटोस, सिग्नेचर, इनकंप प्रूफ, आदि।
स्टेप 4: साड़ी जानकारी डालने के बाद और डॉक्यूमेंट अपलोड करने के बाद फॉर्म सबमिट करें।
स्टेप 5: डीमैट अकाउंटखोलने में 1-2 दिन का समय लगता है अक्सर 10 घंटों के अन्दर आपका अकाउंट एक्टिवेट होजाता है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंटमें क्या अंतर है?
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंटमें ये अंतर है के डीमैट अकाउंटशेयर्स और दुसरे सिक्योरिटीज को डिजिटल फॉर्म में होल्ड करता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंटशेयर्स खरीदने और बेचने में मदद करता है। ये दोनों अकाउंट ज़रूरी होते है शेयर्स मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए, इन्हें आप किसी भी ब्रोकर्स से ओपन कर सकते है।
क्या मैं बिना डीमैट अकाउंटके शेयर्स खरीद सकता हूँ?
एक भारतीय इन्वेस्टर को शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए डीमैट अकाउंटकी ज़रूरत होती है, आप बिना डीमैट अकाउंटके शेयर्स खरीद नहीं सकते है।
एक व्यक्ति कितने डीमेट अकाउंट खोल सकता है?
आप जितने चाहे उतने डीमैट एकाउंट्स खोल सकते है इसमें कोई भी लिमिट नहीं है, सेबी (Security And Exchange Board of India) ने कोई भी ऐसा इमिटेशन नहीं लगाया है। लेकिन ये जानना ज़रूरी है हर डीमैट अकाउंटके चार्ज होते है उन्हें और सारे डीमैट एकाउंट्स को सहीं से पैन कार्ड से लिंक करना चाहिए।
डिमैट अकाउंट खुलवाने के लिए किन-किन कागजात की जरूरत पड़ती है?
डीमैट अकाउंटखुलवाने के लिए किन-किन कागजात की जरूरत पड़ती है:
●पैन कार्ड
● एड्रेस प्रूफ (आधार कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस पासपोर्ट)
● फोटोग्राफ
● सिग्नेचर
● इनकम प्रूफ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस एक्टिवेट करने के लिए)
● एलिजिबिलिटी में भारतीय होना चाहिए, 18 साल उम्र होनी चाहिए कम से कम और एक एक्टि वबैंक अकाउंट होना चाहिए।
ज्यादातर लोगों को शेयर बाजार में नुकसान क्यों होता है?
इन वजहों से ज़यादातर लोग स्टॉक मार्केट में पैसा गवाते है
● बिना अच्छी रिसर्च करें फ्री टिप्स टिप्स या भावना में आके इन्वेस्टिंग करना।
● धैर्य (Patience) कि कामि होने के कारन लोग अपने पैसे शेयर मार्केट में लॉस करते है।
● आंख बंद करके भीड़ को फॉलो करना।
● डायवर्सिफिकेशन ना करना।
● बिना नॉलेज के, बिना शेयर्स मार्केट को समझे जल्दी पैसा कमाने की कोशिश करना।
शेयर बाजार हर सेकंड कैसे बदलता है?
मार्केट कि एक्टिविटी के अनुसार शेयर्स प्राइस हर सेकंड बदलते रहते है। शेयर्स खरीदने वाले और बेचने वालों की वजह से प्राइस पर असर पड़ता है सप्लाई और डिमांड के अनुसार। शेयर्स की वैल्यू कितनी है ये सप्लाई और डिमांड पर है जो खरीदने वाले और बेचने वालों पर डिपेंड है, इसलिए शेयर्स मार्केट हमेशा ऊपर नीचे होती रहती है।
ज़रूरी सवालें
क्या डीमैट खाता खोलने का कोई नुकसान है?
डिमैट अकाउंट खोलने के बहुत सारे फायदे तो है ही लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी जिनको हमने ऊपर बताया है, डिमैट अकाउंट खोलने से पहले इसके क्या फायदें है और क्या नुक्सान है जानना ज़रूरी है।
डिमैट अकाउंट खोलने के लिए क्या क्या चाहिए?
डिमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कम से कम पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट होना चाहिए।
डिमैट अकाउंट में कौन से सिक्योरिटीज जमा कर सकते है?
डीमैट अकाउंटमें इन सिक्योरिटीज को होल्ड कर सकते है:
इक्विटी शेयर्स
कैपिटल गैन और टैक्स फ्री बांड्स
प्रेफरेंस शेयर्स
ट्रेजरी बिल्स (T-Bills)
पार्टली पैड-अप शेयर्स
गवर्नमेंट बांड्स
बांड्स और देबेंचर्स
सावरेन गोल्ड बांड्स (SGBs)
कमर्शियल पेपर्स (CPs)
म्युचुअल फंड्स
सर्टिफिकेट्स ऑफ़ डिपॉजिट्स (CDs)
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs).