Simple भाषा मे कंप्यूटर का इतिहास जाने, क्या आप जानना चाहते है के History of Computer in Hindi तो आप सहीं आर्टिकल पर अये है:
कंप्यूटर का इतिहास क्या है?
कंप्यूटर को एक हि वक़्त मे नहीं बनाया गया है कंप्यूटर को बनाने मे अलग अलग वक़्त मे अलग अलग लोगों ने योगदान दिया है, कंप्यूटर कि शुरुवात कंप्यूटर बनाने के लिए नहीं हुई थी बल्कि सटीक और जल्दी गणना करने के लिए डिवाइस बनाने कि प्रक्रिया मे हुई थी, गणना कि डिवाइस को बेहतर बनाते बनाते आज हमें कंप्यूटर मिला है, इन सारे चीजों को विस्तार से जानते है.
Abacus
सबसे पुराने डिवाइस से लेकर सबसे नये कंप्यूटर तक सब जानेंगे, आज से चार हज़ार साल पहले चाइनीस लोगों ने अबाकस बनाया ये गणना करने का एक डिवाइस है जिसे पहला कंप्यूटर माना जाता है और यहीं से कंप्यूटर का इतिहास शुरू होता है,
अबाकस एक लकड़ी का बॉक्स होता है जिसमे मेटल के रोड होते है और उनमे मोती पिरोई होती है, अबाकस मे कैलकुलेशन करने के लिए उन मोतियों को कुछ रोल्स के मुताबिक मूव करना होता है, चाइना, जापान और रस्सिया जैसे देशो मे आज भि कुछ लोग अयसे डिवाइस यूस करते है.
Napier’s Bone
नापिएर्स बोन भि एक काल्कुलेटिंग डिवाइस है जिसमे मुल्टीप्लाई और डिवाइड करसकते है, ये मैकेनिकल डिवाइस है जिसे मैननुलली ऑपरेट किया जाता है, इस डिवाइस को झोन नापिएर ने बनाया था वह एक मैथमेटिशियन और फिजिशियन थे,
नापिएर ने इस डिवाइस को बनाने के लिए 9 अलग अलग हड्डियों का इस्तेमाल किया और हड्डियों पर नंबरस लिखे गये थे, इसलिए इस डिवाइस का नाम नापिएर्स बोन पड़ा, डिवाइस को बनाने के बाद 1890 तक इसका इस्तेमाल किया गया, ये पहली मशीन थि जिसमे डेसीमल पॉइंट सिस्टम का उपयोग किया गया था.
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Pascaline
1642 और 1644 के बीच फ्रेंच के मैथमेटिशियन और फ्य्लोसोफर ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने पास्कालाइन का अविष्कार किया, ये डिवाइस से सिर्फ अडीशन और सब्सट्रकशन करसकती थी इसको अरिठेमटिक मशीन और अड्डीइंग मशीन भि कहते हैं,
कंप्यूटर का इतिहास का पहला मैकेनिकल और आटोमेटिक कैलकुलेटर, पास्कल ने ये डिवाइस अपने पिता के लिए बनायीं थी ताके कैलकुलेशन जल्दी और सहीं हो कियोंके उनके पिता टैक्स अकाउंटेंट थे, ये डिवाइस लकड़ी के बॉक्स कि तरह था जिसमे पय्ये और गियरस एक सीरीज मे लगे हुए होते है.
Stepped Reckoner
1673 मे जर्मन के मैथमेटिशियन और Gottfried Wilhelm Leibniz ने पास्कल के डिवाइस को डेवेलोप किया, लेबनीज़ ने इसे डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर बनाया,
इस डिवाइस मे गियरस जो पहले पास्कल ने यूस किया था उसकी वजह ड्रमस का इस्तेमाल किया गया इसलिए इसे ‘स्टेपड़ रेक्कोनेर’ कहा जाता है, अब इसमें अड्डीशन, सब्सट्रकशन के साथ मुल्टीप्लाई और डिवाइड भि करसकते है.

Diffrence Engine
1820’स कि शुरुवात मे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर Charles Babbage ने ‘दिफ्फ्रेंस इंजन’ बनाया, ये एक मचनिकल कंप्यूटर है जिसमे सिंपल कैलकुलेशन करसकते है और इसे स्टीम-ड्रिवेन कैलकुलेटिंग मशीन कहते है कियोंकि ये स्टीम कि मदद से हि चलता था.
Analytical Engine
1830 मे फिरसे चार्ल्स बाबबेज ने एक और कैलकुलेटिंग मशीन बनायीं जिसे एनालिटिकल इंजन कहते है, ये एक मैकेनिकल कंप्यूटर है जो Punch Card को अपने इनपुट के लिए इस्तेमाल करता है,
एनालिटिकल इंजन मे कोई भि मैथमेटिक्स प्रॉब्लम सोल्व करसकते है और परमानेंट मेमोरी मे इनफार्मेशन स्टोर करसकते है यानि इस कंप्यूटर मे जानकारी भि स्टोर करसकते है, एनालिटिकल इंजन को देखकर हि आधुनिक कंप्यूटर का आधार रखा गया है इसलिए चार्ल्स बाबबेज को फादर ऑफ़ कंप्यूटर कहा जाता है.
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Tabulating Machine
1890 मे अमेरिका के सटाटिसशियन Herman Hollerith ने ताबुलातिंग मशीन बनायीं, इस मशीन मेभि पांच कार्डस का इस्तेमाल किया गया है और ये एक मैकेनिकल तर्बुलेटर है,
इस मे स्टैटिक्स, डाटा और जानकारी को तबुलेट करने कि क्षमता है जिसकी वजह से इसे अमरीका के 1890 सेन्सस मे इस्तेमाल किया गया, इससे पहले सेन्सस के लिए सात साल लगते थे लेकिन इसको इस्तेमाल करने पर सिर्फ तीन साल लगे,
होल्लेरिथ ने एक कंपनी बनायीं जिसका नाम है ‘होल्लेरिथस ताबुलेटिंग मशीन कंपनी’ आगे जानकार 1924 मे इस कंपनी का नाम ‘इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन’ (IBM) रखा गया जो आज कंप्यूटर मेनुफेकचरिंग कि सबसे बड़ी कंपनीस मेसे एक है.
Diffrential Analyzer
यू.एस मे 1930 साल मे वेंनेवर बुश ने कंप्यूटर का इतिहास का सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाया गया था जिसका नाम है दिफ्फ्रेंशिअल एनालाइजर है, ये मशीन एक मिनट मे 25 कैलकुलेशन करसक्ति है.
Mark 1
साल 1937 मे कंप्यूटर का इतिहास मे बहुत बड़े बदलाव हुए जब होवार्ड ऐकें ने एक आयसी मशीन बनायी जिससे बड़े बड़े कैलकुलेशन सोल्व करसके,
1944 मे (IBM) कंपनी और हार्वर्ड के साथ मिलकर मार्क I कंप्यूटर को बनाया गया, कंप्यूटर का इतिहास का ये सबसे पहला Programmable डिजिटल कंप्यूटर बनया गया था, कंप्यूटर का इतिहास अभि बाकी है जो, कंप्यूटर बनने के बाद कुल पांच जनरेशन कंप्यूटर के अये है चलिए देखते है कंप्यूटर का इतिहास और कंप्यूटर जनरेशनस.
Generations of Computer in Hindi?

First Generation of Computer in Hindi?
1940 से 1956 इन सालों को कंप्यूटर का पहला जनरेशन माना जाता है, ये मशीन बहुत स्लो होते थे, बहुत बड़े होते थे और बहुत जियादा महेंगे भि होते थे, इस वक़्त मे सीपीयू और मेमोरी के बेसिक components के लिए Vacuum tubes का इस्तेमाल किया जाता था और ये मशीन पांच कार्ड और बैच ऑपरेटिंग सिस्टम पर डिपेंड थे,
पेपर टेप और मैग्नेटिक टेप को आउटपुट (Output) और इनपुट (Input) डिवाइसेस के लिए इस्तेमाल किया जाता था, इसतरह के कंप्यूटर के उधारण है: ENIAC, EDVIAC, UNIVAC-1 आदि.
Second Generation of Computer in Hindi?

1956 से 1963 इन सालों को कंप्यूटर का दूसरा जनरेशन कहा जाता है, ये वक़्त Transistor कंप्यूटरस का था, ट्रांसिस्टर का इसलिए यूस किया जाता था कियोंकि ये बहुत सस्ता था,
ये पॉवर भि जियादा कोन्सुम नहीं करता था और पहले जनरेशन के मुकाबले इसकी स्पीड जियादा थी, प्राइमरी मेमोरी के लिए मैग्नेटिक कोर्स का इस्तेमाल किया गया और सेकेंडरी मेमोरी के लिए मैग्नेटिक डिस्क और टेप्स का इस्तेमाल किया गया,
COBOL और FRONTON जैसे लैंग्वेज का यूस किया गया प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए, कंप्यूटर कि दूसरी जनरेशन मे Batch प्रोसेसिंग और मुल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल किया गया था, दुसरे जनरेशन कंप्यूटर के उधारण है: आईबीएम (IBM) 1620, सीडीसी 1604, आईबीएम 7094, सिडीसी 3600 आदि.
Third Generation of Computer in Hindi?

कंप्यूटर का इतिहास का तीसरा जनरेशन मे ट्रांसिस्टर कि जगह Integrated circuits का इस्तेमाल किया जाने लगा, एक सिंगल आईसीस मे बहुत सारे ट्रांसिस्टर होते है जिसकी वजह से कंप्यूटर कि पॉवर बडति है और खर्चा भि कम होता है, कंप्यूटर कि तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर साइज़ मे छोटे थे,
इन कंप्यूटर मे रिमोट प्रोसेसिंग और टाइम-शेरिंग, मुल्टीप्रोग्रामिंग जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम को इस्तेमाल किया गया था, फ्रोन्टोन II से IV तक, कोबोल, पास्कल पीएल/1 आदि जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया जोकि हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर जैसे आईबीएम-360 सीरीज, हनीवेल-6000 सीरीज, ईबीएम-370/168.
Fourth Generation of Computer in Hindi?
1971 से 1980 तक इन इस वक़्त को कंप्यूटर कि चौती जनरेशन कहते है, इस वक़्त वीएलएसआई यानि ‘Very Large Scale Integrated’, वीएलएसआई एक चिप है जिसमे लाखों ट्रांसिस्टर होते है और दुसरे सर्किट एलिमेंट भि होते है जिसकी वजह से इस जनरेशन के कंप्यूटर जियादा फास्ट,
जियादा पावरफुल और अफोर्डेबल थे, टाइम-शेरिंग, रियल-टाइम और डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम को इस जनरेशन के कंप्यूटर मे इस्तेमाल किया जाता था. सी, सी++ जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इस जनरेशन मे इस्तेमाल किया जाता था, उधारण: पीडीपी 11, क्रय-1, स्टार 1000, क्रय-x-एमपी आदि.
Fifth Generation of Computer in Hindi?

1980 से और आज तक के समय को कंप्यूटर कि पांचवी जनरेशन कहा जाता है, इस जनरेशन मे ‘VLSI’ कि जगह यूएलएसआई ‘यानि ‘Ultra Large Scale Integration’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, इन कंप्यूटरस मे माइक्रो प्रोसेसर के साथ एक करोड़ इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्टस का इस्तेमाल होता है,
एआई ‘Artificial Intelligence’ सॉफ्टवेयर और परेल्लेल प्रोसेसिंग हार्डवेयर का पाचवी जनरेशन मे इस्तेमाल किया जाता है, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कि बात करे तो सी, सी++, जावा, नेट आदि यूस किये जाते हैं, पांचवीं जनरेशन कंप्यूटर के उधारण है: लैपटॉप, डेस्कटॉप, अल्ट्रा बुक, नोटबुक आदि, और यहीं पर कंप्यूटर का इतिहास ख़तम होता है.
निष्कर्ष?
आज हमने जाना history of computer in hindi, कंप्यूटर का इतिहास मे किसका योगदान है, कंप्यूटर हिस्ट्री क्या है, आदि. आशा है आपको ‘computer history in hindi’ कि जानकारी मिलगई होगी, अगर आपने ये आर्टिकल ध्यान से पढ़ा है तो इस सवाल का जवाब कमेंट करके बताएं फादर ऑफ़ कंप्यूटर किसे कहते है जवाब को कमेंट ज़रूर करे.
कंप्यूटर का इतिहास से जुड़ा कोई सवाल होतो कमेंट करें, इस आर्टिकल को शेयर भि करे ताके दूसरों को भि पता चले कंप्यूटर का इतिहास क्या है, हमारा ये आर्टिकल ‘History of computer in hindi’ यहीं समाप्त होता है.
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